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Monday, February 28, 2022

Child Apperception Test ( CAT ) Senior Apperception Test ( SAT )( बालक अंतर्बोध परीक्षण एवं वरिष्ठ अंतर्बोध परीक्षण )

 

Child Apperception Test ( CAT ) Senior Apperception Test ( SAT )( बालक अंतर्बोध परीक्षण एवं वरिष्ठ अंतर्बोध परीक्षण )

 Child Apperception Test  (CAT ) And Senior Apperception Test (SAT )

बालक अंतर्बोध परीक्षण  एवं वरिष्ठ अंतर्बोध परीक्षण 


Child Apperception Test (CAT)

निर्माण - Leopoled Bellak -1948

भारतीय अनुकूलन - डॉ उमा चौधरी द्वारा 1960 

उद्देश्य - बच्चों के व्यक्तित्व के मापन हेतु ।

प्रकार - प्रक्षेपी ( Projective ) 

परीक्षार्थी आयु वर्ग - 3-10 वर्ष 

अभिव्यक्ति का माध्यम - कहानी (बनाना या लिखना )द्वारा 

परीक्षण व्याख्या -

जब बच्चों के  सामने कोई अस्प्ष्ट जानवरों की गतिविधियों को प्रस्तुत किया जाता है तो बच्चे जानवरों के चित्रों / दृश्य की व्याख्या अपने शब्दों में अपनी भावनाएं कल्पना व गुणों के आधार पर व्यक्त  करते हैं , जिससे उनके व्यक्तित्व की पहचान की जा सकती है। 

कुल कार्डों की संख्या - 10 

कार्ड पर चित्र - जानवरों के व्यवहार के 

                   Sample Card Of CAT



Senior Apperception Test  (SAT ) वरिष्ठ अंतर्बोध परीक्षण 

निर्माण - Leopoled Bellak 

उद्देश्य - प्रौढ़ व्यक्तियों के व्यक्तिव की संरचना , समस्याओं ,तनावों एवं चिंताओं का अध्ययन करना । 
भारतीय अनुकूलन - डॉ उमा चौधरी द्वारा 1978 

प्रकार - प्रक्षेपी ( Projective)

आयु वर्ग - 50 + years 

अभिव्यक्ति माध्यम - कहानी व विचार के माध्यम से । 



A Sample Card Of  SAT

परीक्षण व्याख्या -
कार्ड पर छपे  बुजुर्ग व्यक्तियों के विभिन्न मानवीय व्यवहार व परिस्थितियों के चित्रों को देखकर व्यक्ति अपने विचार , भावनाएं , आंतरिक तनावों को अपने अनुभव के आधार पर व्यक्त करता है जिससे उससे व्यक्तित्व की पहचान की जा सकती है । 

कुल कार्डों की संख्या - 16 

कार्डों पर चित्र -  व्यक्तियों  के मानवीय व्यवहार एवं परिस्थितियों के चित्र । 

Saturday, February 26, 2022

Psycho-Analytical Theory

 मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत(Psycho-Analytical Theory)

प्रतिपादक:- सिगमंड फ्रायड(जन्म-6मई 1856,मृत्यु-23सितम्बर 1939)

निवासी-ऑस्ट्रिया(वियना में)

- सिगमंड फ्रायड ने मन की तीन दशाएँ बतायीं है

1.चेतन मन(Conscious Mind) 1/10:- मस्तिष्क की जागृत अवस्था

2.अचेतन मन(Unconscious Mind) 9/10:- कटु अनुभूतियों दुखद बातें तथा दमित इच्छाओं का भंडार

3.अर्द्धचेतन मन(Sub conscious Mind) 00:- चेतन और अचेतन के बीच की अवस्था ।याद की हुई बातों को भूल जाना, अटक जाना, हकलाना आदि बातें अर्द्धचेतन को प्रदर्शित करते हैं।

सिगमंड फ्राइड ने व्यक्तित्व संरचना की दृष्टि से तीन अवस्थाएं बताएं है-

1. Id(इदम्) सुखवादी सिद्धांत पर आधारित, पशु प्रवृत्ति का, अचेतन मन का राजा ,अर्थात दमित इच्छाओं को पूर्ण करने वाला, व्यक्ति की जन्मजात मनःशक्तियों का भंडार होता है। इसकी प्रकृति मूल प्रवृत्तियों पर निर्भर करती है। इदम् यौन प्रवृत्ति तथा आक्रामकता पर आधारित होता है। यह पूर्णता अचेतन होता है। यह व्यक्तित्व का जैविक पहलू है।

2.Ego( अहम) वास्तविक सिद्धांत पर आधारित चेतन मन का स्वामी। अहम यथार्थता के सिद्धांत पर कार्य करता है। अहम को व्यक्तित्व का मनोवैज्ञानिक पहलू माना जाता है।

3.Super Ego( परम अहं) आदर्शवादी सिद्धांत पर आधारित

 परम अहं नैतिकता के सिद्धांत पर कार्य करता है इसको नैतिकता का कमांडर कहा जाता है ।यह पूर्णता चेतन होता है । इसे हम अंतरात्मा कहते हैं। परम अहम व्यक्तित्व का सामाजिक पहलू माना जाता है।

मूल प्रवृत्तियां(Instincts):-

1. जीवन मूल प्रवृत्ति या यौन प्रेम(Life Instincts or Eros):- जीवन मूल प्रवृत्ति व्यक्ति को जीवित रहने के लिए प्रेरणा स्रोत का काम करती है। जीवन मूलप्रवृत्ति से संबंधित सभी मूल प्रवृत्तियों में निहित संपूर्ण मानसिक शक्ति को फ़्रायड ने काम शक्ति(Libido) का नाम दिया है ।जिनमें काम-वासना भूख तथा प्यास मुख्य हैं ।मनोविश्लेषण में जीवन मूल प्रवृत्तियों के संपूर्ण समूह को संगठित रूप में फ़्रायड ने यौन प्रेम (Eros)का नाम दिया है।

2.मृत्यु मूल प्रवृत्ति( Death Instinct or Thanatos):-

मृत्यु के उपरांत व्यक्ति की सभी प्रकार की जैविक आवश्यकताओं का अंत हो जाता है। मृत्यु मूल प्रवृत्ति में मृत्यु प्राप्त करने की अचेतन भावना नीहित रहती है फ़्रायड के  अनुसार प्राणी के जीवन का उद्देश्य मृत्यु है।

फ्राइड ने व्यक्तित्व के विकास में लैंगिक मूल प्रवृत्ति(Sexual) को एक महत्वपूर्ण निर्धारक माना है:-

1.मुखा अवस्था(Oral Stage):- यह है अवस्था जन्म से 1 वर्ष की उम्र तक चलती है जिसमें बालक मुख की क्रियाओं द्वारा लैंगिक सुख(Saxual satisfaction) प्राप्त करता है। स्तनपान करना ,अंगूठा चूसना तथा अन्य चीजों को मुख में डालना आदि।

2.गुदावस्था(Anal Stage):- यह अवस्था 3 वर्ष की आयु तक चलती है। इस अवस्था में बच्चा मल मूत्र को त्यागने तथा कभी-कभी रोकने में लैंगिक सुख की प्राप्ति करता है। मल त्याग करते समय वे काफी देर तक बैठे रहते हैं।

3.लिंग-स्पर्शी अवस्था(Phallic Stage):- यह अवस्था 3 वर्ष से 5 वर्ष की आयु तक रहती है इस अवस्था में बच्चे अपने हाथों से जनन इंद्रियों  को स्पर्श करके लैंगिक सुख की प्राप्ति करते हैं।

4.अव्यक्त अवस्था(Latency Stage):- यह अवस्था 6 वर्ष से लेकर 12 वर्ष की आयु तक चलती है। इस अवस्था में बच्चे सामाजिक दबाव में आकर लैंगिक इच्छाओं को अनैतिक मानकर उनका दमन करते हैं।

5.जनेन्द्रिय अवस्था(Gential Stag:- यह अवस्था 13 वर्ष की आयु से प्रारंभ होती है इस अवस्था में किशोर पहले  समलिंगियों तथा बाद में  विषमलिंगी के साथ यौन संबंध बनाने में आनंद की अनुभूति प्राप्त करता है।

Thursday, February 24, 2022

Rorschach Ink Blot Test(रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण)

 

Rorschach Ink Blot Test / रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण

Rorschach Ink Blot Test / रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण 

निर्माण - Harman Rorschach

उद्देश्य - व्यक्तित्व संरचना की पहचान करना । 

परीक्षार्थी / व्यक्ति  की उम्र सीमा - निर्धारित नही । 


A Sample card of Ink Blot Test 

परीक्षण सामग्री ( Test Material )- 
  • कुल कार्ड संख्या = 10

काले व सफ़ेद कार्ड = 05  (कार्ड न. 1,4,5,6,7)

काले सफ़ेद व लाल कार्ड = 02 ( कार्ड न. 2,3 )

बहुरंगी या रंगीन कार्ड = 03 ( कार्ड न. 8,9,10 )


परीक्षण प्रक्रिया (Test Process) -

  • व्यक्ति / परीक्षार्थी के सामने एक एक करके कार्ड प्रस्तुत किया जाता है। 
  •  व्यक्ति / परीक्षार्थी से पूछा जाता है की उसे कार्ड की आकृति में क्या दिखाई दे रहा है । 
  • व्यक्ति  /परीक्षार्थी द्वारा दिये  गए उत्तरों के आधार पर व्यक्तित्व का विश्लेषण किया जाता है । 
  • परीक्षार्थी / व्यक्ति के व्यवहार का लेखन किया जाता है । 
  • परीक्षण की समय सीमा निर्धारित नहीं । 
  • व्यक्ति / परीक्षार्थी द्वारा कार्डों  पर  देने वाली प्रतिक्रियाओं की  संख्या निर्धारित नही। 
सोपान ( steps )

1 - प्रतिक्रिया (Responses )

2- प्रतिक्रिया की जाँच (Inquiry of Responses )

3- संसोधित प्रतिक्रिया देना (Improved Responses )

4- परीक्षक द्वारा प्रश्न पूछना( Questioning )

प्रतिक्रियाओं का अंकन - (Feeding of Responses)

  • स्थिति ( Location )- व्यक्ति द्वारा धब्बे के किस भाग पर प्रतिक्रिया दी गयी 
  • निर्धारक ( Determinants ) - धब्बे की वो विशेषताएँ जिनकी वजह से प्रतिक्रिया दी जा रही है 
  • विषय वस्तु ( Content ) - व्यक्ति द्वारा दी गयी प्रतिक्रियाओं को विषय वस्तु के आधार पर बाँटना 
  • मौलिक प्रतिक्रियाएँ  ( Natural Responses) - अधिक संख्या में दी गयी प्रतिक्रियाएं 
इस परीक्षण का प्रयोग करने के लिए एक अनुभवी ,प्रशिक्षित प्रशासक आवश्यक होता है 


Wednesday, February 23, 2022

Methods of Personality Measurement( व्यक्तित्व मापन की विधियाँ)

 

METHODS OF PERSONALITY MEASUREMENT ( व्यक्तित्व मापन की विधियाँ )

 METHODS OF PERSONALITY MEASUREMENT 

( व्यक्तित्व मापन की विधियाँ )

व्यक्तित्व मापन की मुख्यतः तीन विधियाँ इस प्रकार हैं -

1 आत्मनिष्ठ विधियाँ / व्यक्तिनिष्ठ विधियाँ (Subjective Methods ) 

2 वस्तुनिष्ठ विधियाँ  ( Objective Methods )

3 प्रक्षेपीय विधियाँ ( Projective Methods)

1 आत्मनिष्ठ विधियाँ / व्यक्तिनिष्ठ विधियाँ (Subjective Methods ) - 

इन विधियों में समय , व्यक्ति , स्थान  एवं निर्णायकों के व्यक्तिगत विचार , पसंद ,नापसंद , रुचियाँ या पूर्वधारणा आदि मापन के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं । 

आत्मनिष्ठ विधियों के प्रकार (Types of Subjective Methods )-

A - अवलोकन विधि ( observation Method)

B - साक्षात्कार विधि ( Interview Method)

C - जीवन इतिहास विधि (Case Study Method)

2-  वस्तुनिष्ठ विधियाँ  ( Objective Methods )-

जिन मापन विधियों के परिणाम समय , व्यक्ति , स्थान तथा निर्णायकों के द्वारा प्रभावित नही किए जा सकते उन्हे वस्तुनिष्ठ विधि कहते हैं ।

वस्तुनिष्ठ विधियों के प्रकार -

A -निर्धारण मापनी ( Rating Scale )- ये 6 प्रकार की होती हैं -

  • Trait Check List 
  • Numerical Rating Scale 
  • Graphic Rating Scale 
  • Ranking Rating Scale 
  • Positional Rating Scale 
  • Forced Choice Rating Scale 
B- परिसूची या प्रश्नावली ( Inventory Or Questionnaire)-

C - परिस्थिति परीक्षण ( Situation Test )

D - समाजमिति विधि ( Sociometric Method )

E - मनोनाटक ( Psycho Drama Method )

3- प्रक्षेपीय विधियाँ ( Projective Methods )-

जब व्यक्ति द्वारा किसी वस्तु , चित्र ,आकृति , वाक्य या कहानी का अर्थ पता लगाना या पूरा करना या अपने विचार व्यक्त करने के दौरान अनजाने ढंग से व्यक्तित्व का मापन किया जाता है तो इसे प्रक्षेपीय विधि कहते हैं । 

प्रक्षेपीय विधियों के प्रकार (Types Of Projective Methods ) -

  • साहचर्य तकनीकी (Association Technique)-  इसमें शब्दों , चित्रों , या वाक्यों पर प्रतिक्रिया देनी होती है । 
  • रचना तकनीकी ( Construction Technique )- इसमें कोई नवीन कहानी , या चित्र बनाने को कहा जाता है । 
  • पूर्ति तकनीकी ( Completion Technique ) - इसमें किसी अधूरे चित्र , वाक्य या कहानी को पूरा करने को कहा जाता है । 
  • क्रम तकनीकी ( Ordering Technique) - इसमें शब्द ,कथन , विचार, भाव ,चित्र ,वस्तुएं आदि को अपनी पसंद या नापसंद के अनुसार क्रम से लगाने को कहा जाता है । 
  • अभिव्यक्ति तकनीकी ( Expression Technique ) - इसमें प्रस्तुत किए गए शब्द ,कथन , विचार, कहानी , भाव ,चित्र ,वस्तुएं आदि पर अपनी प्रतिक्रियाएँ स्वतंत्र रूप  व मनचाहे ढंग से देनी होती हैं । 
प्रमुख व्यक्तिव परीक्षण  (Main Personality  Test )- 

रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण (Rorschach Ink Blot Test )- By Harman Rorschach  , No. of cards =10  for all

प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण ( Thematic Apperception Test ) /टीएटी/TAT- By Morgan and Murray , No . of cards = 31  (30 +1) ,  For Adults 

बालक अंतर्बोध परीक्षण ( Child Apperception Test )/ CAT - By Leopoled Bellack , No. of cards = 10 , for 3-10 year Child . 

वरिष्ठ अंतर्बोध परीक्षण ( Senior Apperception Test ) SAT - By Leopoled Bellack , No. of  cards = 16 , For 50 + years 


Tuesday, February 22, 2022

Cattell s 16 Persoality Factors / High School Personality Questionnaire ( कैटल के 16 व्यक्तित्व कारक )

Cattell s 16 Personality Factors ( कैटल के 16 व्यक्तित्व कारक )

कैटेल के द्वारा बनाए  गए प्रसिद्ध व्यक्तित्व मापन उपकरण 16 पी एफ  प्रश्नावली ( 16 P F Questionnaire ) में व्यक्तित्व के 16 द्विध्रुवीय कारकों को सम्मलित किया है जो इस प्रकार हैं -

क्रम सं - कारक    -        कारकों के दो विपरीत ध्रुव 
  S. N  Factors            Two Extreme Poles of Factors 
  1.   A   - उत्साही (out going )  एकांकी Reserved 
  2.   B   अधिक बुद्धिमान More Intelligent  - कम बुद्धिमान Less Intelligent 
  3.   C  स्थिर Stable            संवेगात्मक Emotional 
  4.   E   दृढ़ Assertive              नम्र Humble 
  5.   F  हंसमुख Happy GO Lucky-  सौम्य Sober 
  6.   G आध्यात्मिक Conscientious सांसरिक Expedient 
  7.   H सामाजिक Venturesome   संकोची Shy 
  8.   I संवेदनशील Tender-minded -  निष्ठुर Tough Minded 
  9.   L शंकालु  Suspicious    विश्वस्त Trusting
  10.   M कल्पनावादी Imaginative यथार्थवादी practical 
  11.   N व्यवहार कुशल  Shrewd -सामान्य Forthright 
  12.  O चिंतित Apprehensive - आत्मविश्वासी Placid 
  13.  Q1आधुनिक Experimenting रूढ़िवादी  Conservative 
  14.  Q2 स्व -आधारित Self-sufficient   - समूह-नियंत्रित Group tied
  15.  Q 3 नियंत्रित Controlled -अंतर द्वंदी  Causal 
  16.  Q 4 तनावयुक्त Tense      तनाव मुक्त Relaxed

Monday, February 21, 2022

R B CATTEL S TRAIT THEORY / कैटेल का शील गुण सिद्धान्त

 

R B CATTEL S TRAIT THEORY / कैटेल का शील गुण सिद्धान्त

R B CATTEL S TRAIT THEORY / कैटेल का शील गुण सिद्धान्त 

प्रतिपादक - आर बी कैटेल 
  • कैटल  ने सर्वप्रथम 4000 शील गुण शब्दों की सूची से 171 वर्णनात्मक पदों का चयन किया । 
  • फिर 171 पदों  से 35 वर्गों का निर्माण किया । 
  • इसके बाद कारक विश्लेषण ( Factor Analysis) नाम की संख्यकीय प्रविधि का प्रयोग करके व्यक्तित्व के 12 मूलभूत कारकों को ज्ञात किया । 
  • इन 12 मूलभूत कारकों को कैटेल ने व्यक्तित्व शील गुण  नाम दिया  जो  इस प्रकार हैं -
  1. CYCLOTHYMIA
  2. INTELLIGENCE 
  3. EMOTIONALLY MATURE 
  4. DOMINANCE 
  5. SURGENCY 
  6. SENSITIVE , IMAGINATIVE 
  7. TRAINED , SOCIALISED 
  8. POSITIVE INTEGRATION 
  9. CHARITABLE , ADVENTUROUS 
  10. NEURASTHEIA 
  11. HYPER SENSITIVE , INFATILE 
  12. SURGENT CYCLOTHYMIA 
  • कैटेल के अनुसार शील गुण  निम्न प्रकार के होते हैं - 
  1.  सामान्य शील गुण - जो सभी व्यक्तियों में पाये जाते हैं 
  2. विशिष्ट शील गुण - जो कुछ विशेष व्यक्तियों में पाये जाते हैं 
  3. सतही शील गुण - व्यक्ति के व्यवहार से जल्दी दिख जाते हैं - प्रसन्नता , उदासी , परोपकारिता ,विनम्रता आदि 
  4. स्रोत शील गुण - व्यक्ति के व्यवहार के पीछे छिपे होते हैं तथा अप्रत्यक्ष रूप से व्यवहार को नियंत्रित करते हैं । जैसे - मित्रता का गुण , एकाकीपन आदि। 
  • कैटेल के अनुसार व्यक्तित्व शील गुणों का विकास सामाजिक एवं पर्यावरणीय प्रभावों के फलस्वरूप होता है । 
  • Empirical Data तथा सांख्यिकीय प्रविधियों के प्रयोग ने कैटेल के सिद्धान्त को वस्तुनिष्ठिता प्रदान की है । 

TRAIT THEORY OF PERSONALITY / व्यक्तित्व का शील गुण सिद्धान्त

TRAIT THEORY OF  PERSONALITY / व्यक्तित्व का शील गुण सिद्धान्त 

व्यक्तित्व के शील गुणों के आधार पर  दो प्रमुख सिद्धान्त इस प्रकार हैं - 

1 - G . W Allport  का शील गुण सिद्धान्त 

2- R.B Cattell का शील गुण सिद्धान्त 

1- G W Allport का शील गुण सिद्धान्त -

आलपोर्ट ने शील गुणों को दो भागों में बांटा है -

A - सामान्य शील गुण ( Common Traits) - 

  • ऐसे शील गुण जो किसी समाज / संस्कृति के अधिकांश व्यक्तियों में पाये जाते हैं ।
  • इन्हे सरलता से ज्ञात किया जा सकता है ।

B - व्यक्तिगत शील गुण ( Personal Traits)- 

  • ये शील गुण जो बहुत कम व्यक्तियों में पाये जाते हैं ।
  • इनका अध्ययन बहुत कठिन होता है ।
आलपोर्ट ने व्यक्तिगत शील गुणों की तीन प्रवृत्तियाँ बताई हैं -

1- प्रमुख प्रवृत्ति ( Cardinal Disposition )-  

  • वे प्रमुख व प्रबल शील गुण जो छिपाए नही जा सकते एवं व्यक्ति के व्यवहार से परिलक्षित हो जाते हैं । 
  • जैसे - सत्य ,अहिंसा  में प्रबल विश्वास होना । 

2- केन्द्रीय प्रवृत्ति ( Central Disposition) - 

  • वे शील गुण जो व्यक्ति में अधिक सक्रिय रहते हैं एवं अधिकांश व्यवहारों मे दिखाई देते हैं । 
  • प्रत्येक व्यक्ति मे 5-10 ऐसे शील गुण होते हैं 
  • केंद्रीय प्रवृत्ति के शील गुण ही व्यक्तित्व की रचना करते हैं । 
  • जैसे - आत्मविश्वास ,समाजिकता , उत्साह ,व्यवहार कुशलता आदि । 

3- गौण प्रवृत्ति ( Secondary Disposition ) - 

  • ये शील गुण कम महत्वपूर्ण व कम संगत होते हैं तथा व्यवहार में कभी - कभी परिलक्षित होते हैं ।  
  • इनकी सहायता से व्यक्तित्व की ब्याख्या संभव नही होती है । 

स्मरणीय बिन्दु -  एक शील गुण जो एक व्यक्ति के लिए केंद्रीय प्रवृत्ति का है वही शील गुण दूसरे व्यक्ति के लिए गौण प्रवृत्ति या प्रमुख प्रवृत्ति का हो सकता है । 

अपनापन (PROPRIUM) - उत्पत्ति =लैटिन शब्द Proprius  = अपना / Own 

आलपोर्ट के अनुसार व्यक्तित्व में शील गुणों के समन्वय ( Integration ) व संगतता ( Consistency ) का भाव  समाहित होता है जिसे अपनापन ( Proprium) कहा जाता है । 

अपनेपन (Proprium ) की अवस्थाएँ - ( शैशववस्था से किशोरावस्था तक )

  • 1-3 वर्ष - शारीरिक स्व ,स्व पहचान ,स्व मान 
  • 4-6 वर्ष - स्व विस्तार , स्व प्रतिमा 
  • 6-12 वर्ष - तार्किक अनुकूलन 
  • 12-18 वर्ष - उपयुक्त प्रयास 
  • किशोरावस्था में Proprium का पूर्ण विकास हो जाता है । 

  • व्यक्तित्व जन्मजात न होकर परिस्थितियों से प्रभावित होकर विकसित होता है । 

Friday, February 18, 2022

Personality(व्यक्तित्व)

  Personality( व्यक्तित्व):- व्यक्तित्व का अंग्रेजी अनुवाद Personality है, जो लैटिन शब्द (Persona) से बना है, जिसका अर्थ होता है बाहरी आवरण/ नकली चेहरा /नकाब/ मास्क ।

- प्राचीन समय में वाह्य रूपरेखा के आधार पर व्यक्तित्व प्रभावित किया जाता था ।

- वर्तमान में वाह्य तथा आंतरिक गुणों के समावेश को व्यक्तित्व कहा जाता है।

व्यक्तित्व जन्मजात और अर्जित प्रवृत्तियों का योग है।-वेलेंटाइन

(Personality is the sum total of innate and acquired dispositions.)_Valentine

व्यक्तित्व गुणों का समन्वित रूप है-गिल्फोर्ड

(Personality is an integrated pattern of traits.)_Guilford

व्यक्तित्व व्यक्ति के अन्दर उन मनोशारीरिक गुणों का गत्यात्मक संगठन है,जो वातावरण के साथ उसका एक अनूठा समायोजन स्थापित करते हैं।-आलपोर्ट

Personality is the dynamic organization within the individual of those physical systems that determine his unique adjustment to his environment_G.W.Allport

व्यक्तित्व का वर्गीकरण-

1. पाश्चात्य दृष्टिकोण के आधार पर-

शरीर रचना के आधार पर- प्रवर्तक-शेल्डन

तीन भागों में विभाजित किया-

(1)गोलाकृति(Endomorphy)

(2)आयताक्रति(Mesomorphy)

(3)लम्बाकृति (Ectomorphy)

क्रेचमर के अनुसार-

(1).स्थूलकाय-नाटे व्यक्ति(pycnic)

(2).सुडौलकाय-खिलाड़ी प्रवृत्ति(Athletic)

(3).क्षीणकाय-दुर्बल शरीर वाले(Asthenic)

(4)मिश्रकाय (Dysplastic)

हिप्पोक्रेट्स द्वारा प्रतिपादित वर्गीकरण:-

-सर्वप्रथम 'प्रकार' सिद्धान्त(Type Theory) का वर्णन हिप्पोक्रेट्स ने शारीरिक द्रव्यों के आधार पर किया।

1-पीला पित्त(Yellow bile)

2-काला पित्त(Black Bile)

3-रक्त पित्त(Blood Bile)

4-कफ पित्त(Phlegm)

मनोवैज्ञानिक गुणों के आधार पर वर्गीकरण(On the Basis of Psychological Characteristics):-

युंग का वर्गीकरण(Jung' Classification):-

1-बहिर्मुखी(Extrovert)

2-अंतर्मुखी(Introvert)

3-उभयमुखी(Ambivert)

स्प्रिंगर का वर्गीकरण(Stranger's Classification):-

1-सैद्धांतिक प्रकार(Theoretical Type)

2-आर्थिक प्रकार(Economic Type)

3-सामाजिक प्रकार(Social Type)

4-राजनैतिक प्रकार(Political Type)

5-सौन्दर्यवादी प्रकार(Aesthetic type)

6- धार्मिक प्रकार (Religious type)

भारतीय दृष्टिकोण से वर्गीकरण:-

1-तामसिक

2-राजसिक

3-सात्विक

4-गुणातीत

आधुनिक वर्गीकरण-

1-भावुक व्यक्ति(Men of Feeling)

2-कार्यशील(Men of Action)

3-विचारक(Men of Thought)

व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक

1. वंशानुक्रम

2. वातावरण

3. शारीरिक संरचना का प्रभाव

4. मानसिक योग्यता का प्रभाव

5. विशिष्ट रूच का प्रभाव

6. सांस्कृतिक वातावरण का प्रभाव

7. परिवार व विद्यालय के वातावरण का प्रभाव

व्यकितत्व के प्रकार(Types of Personality):-

क्रमांक     व्यकितत्व प्रकार का आधार            समर्थक

1.                  स्वभाव के अनुसार-             हिप्पोक्रेट्स

2.                  शारीरिक रचना की दृष्टि से -  क्रेचनर

3.                  शारीरिक दृष्टि से-                  शेल्डन

4.                   शरीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से-   बर्नर

5.                   विचार के आधार पर-            थार्नडाइक

6.                   बुद्धिलब्धि के आधार पर-      टर्मन

7.                   मूल्यों के आधार पर-             स्प्रिंगर

8.                   अन्तर्मुखी, बहिर्मुखी-             युंग

9.                   सतोगुणी, तमोगुणी, रजोगुणी- भारतीय दर्शन

10  .               टाइप A और B-      फ़्रायडमैन एवं रोसनमैन


Monday, February 14, 2022

Saturday, February 12, 2022

Defence Mechanism(रक्षा युक्तियाँ):-

 फ़्रायड ने रक्षा युक्ति शब्द उन युक्तियों के लिए किया है जिन्हें व्यक्ति बाह्य खतरों की आशंकाओं तथा आन्तरिक प्रेरकों से होने वाली चिंताओं से बचने के लिए अचेतन प्रक्रिया के माध्यम से वास्तविकता को झुठलाते हुए अपनाता है।

-ये रक्षा युक्तियाँ खतरे को नही बदल पाती है लेकिन ये खतरे के प्रति व्यक्ति की सोच को बदल देती हैं।

-मॉर्गन तथा किंग के अनुसार-"रक्षा युक्तियाँ सामान्यतया वे मान्य तरीके हैं जिनके द्वारा व्यक्ति तनाव से मुक्ति पाता है।"

Defence Mechanism are the generally accepted ways of looking at how people handle stress._Morgan&King

-रक्षा युक्तियाँ दो प्रकार की होती है:-

(1)मुख्य युक्तियाँ(Major Mechanism)-ये मनोरचनाएँ व्यक्ति के तनाव या संघर्ष को पूर्ण या आंशिक रूप में स्वयं समाप्त करने में सक्षम होते है।इनमें मुख्य रूप से दमन,शमन,प्रतिक्रिया-निर्माण, प्रत्यागमन,युक्तिकरण, उदात्तीकरण ,रूपांतरण एवं विवेकीकरण करण आते हैं

-गौण युक्तियाँ(Minor Mechanism):-ये युक्तियाँ व्यक्ति के तनाव तथा संघर्ष को दूर करने में स्वयं तो सक्षम नही होती हैं लेकिन तनाव दूर करने में मुख्य युक्तियों की सहायता करती है। इस श्रेणी में प्रक्षेपण ,विस्थापन, प्रत्याहार, क्षतिपूर्ति, वास्तविकता से पलायन ,स्थानांतरण आदि प्रमुख है

प्रमुख रक्षा युक्तियाँ:-

(1)दमन(Repression)- जब कोई विचार चेतन में उत्पन्न होता है तो या तो उसे व्यक्त कर दिया जाता है या उसका दमन कर दिया जाता है। दमन संघर्षों से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है ।दमन में पीड़ा से बचने की भावना निहित होती है तथा दमन हम उन्हीं विचारों या इच्छाओं का करते हैं जिन्हें हम व्यक्त नहीं कर पाते।

उदाहरण -एक युवक ऐसी लड़की की और आसक्त हो जाता है जो रिश्ते में उसकी बहन लगती है। अतः सामाजिक दृष्टि से उसके साथ यौन संबंध बनाना नैतिकता के अनुकूल नहीं है, जिस कारण चेतन इस विचार को स्वीकार नहीं करता है ।अतः संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस संघर्ष को अचेतन में दबाकर व्यक्ति चिंता दूर करता है।

(2)शमन(Suppression)- दमन तथा सम्मान में अंतर यह है कि दमन की स्थिति में कष्टदायक विचार स्वयं ही अचेतन में चले जाते हैं जबकि समन की स्थिति में कष्टप्रद विचार या इच्छा को जानबूझकर अचेतन में प्रविष्ट कराया जाता है।

उदाहरण- जब कोई स्त्री विधवा हो जाती है तो वह अपने पति की मृत्यु की याद को अपनी चेतना से दूर करने का प्रयास करती है।

(3)प्रतिगमन(Regression)- वापस जाना। जब व्यक्ति स्वयं को चारों ओर से घिरा पाता है तो वह अपने उस शैशवकाल की ओर लौट आता है जहां यह सब चिंताएं नहीं थी। प्रतिगमन की स्थिति में एक परिपक्व व्यक्ति आप परिपक्व व्यवहार करने लगता है ।

उदाहरण-प्रौढ़ युवती इसलिए आंसू बहाती है क्योंकि बचपन में आंसू बहा कर वह मम्मी से बहुत सी बातें बनवा लिया करती थी।

(4) आत्मीकरण(Identification)- दूसरे व्यक्ति के गुणों को अपने व्यक्तित्व में ग्रहण करने की कला को  आत्मीकरण कहते हैं।

उदाहरण -एक व्यक्ति देवानंद से आत्मीकरण कर उसी की तरह बाल रखना या बोलना प्रारंभ कर देता है।

(5)युक्तिकरण(Rationalization)- इस युक्ति के द्वारा व्यक्ति अपनी कमियों तथा असफलताओं को उचित करार देने के लिए तर्क प्रस्तुत करता है जैसे पैसा ना होने पर बच्चे को यह कहकर समझा दिया जाता है कि यह जलेबी ठीक नहीं है।

(6)क्षतिपूर्ति(Compensation)- हीनता की भावना से सुरक्षा पाने के लिए किसी दूसरे क्षेत्र में श्रेष्ठता का विकास करने की प्रक्रिया क्षतिपूर्ति कहलाती है।

उदाहरण -पढ़ाई में कमजोर छात्र खेल में अच्छा प्रदर्शन करके पढ़ाई की हीनता की क्षतिपूर्ति करता है।

(7)प्रक्षेपण(Projection)- अपने दोषों ,कमियों को दूसरों के सर पर थोप देना प्रक्षेपण कहलाता है।

उदाहरण -परीक्षा में असफल होने पर छात्र पेपर का आउट ऑफ कोर्स होना बताता है।

(8) उन्न्यन(Sublimation)- इस युक्ति के द्वारा व्यक्ति अपनी असामाजिक इच्छाओं के मार्ग को बदलकर सामाजिक मार्ग पर ले आता है, जैसे -प्रेमिका को प्राप्त करने में असफल एक व्यक्ति अच्छा मूर्तिकार बन जाता है।

(9)प्रतिक्रिया निर्माण(Reaction Formation)- जब कोई  इच्छा दमित हो जाती है तो अहं उसे दोबारा आने से रोकता है तथा व्यक्ति ऐसी स्थिति में विपरीत व्यवहार करता है जैसे धनी नहीं बनने पर गरीबों की प्रशंसा करना।

(10) रूपांतरीकरण (Conversation)- दैनिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए बीमार पड़ जाना चाहता है और फिर वह व्यक्ति वास्तव में बीमार पड़ जाता है।

(11)दिवा-स्वप्न(Day-Dreaming)- यह एक प्रकार से काल्पनिक दुनिया में हमारी इच्छाओं की पूर्ति कर आता है जिसे हम ख्याली पुलाव या हवाई किले बनाना कहते हैं।

(12)पलायन(Withdrawal)- व्यक्ति जब किसी भयानक परिस्थिति का सामना करने में स्वयं को अक्षम मानता है तो वह उससे पलायन करना ही उचित समझता है।

(13)अस्वीकृत(Denial)- कुछ व्यक्ति दुखद बातों को सुनकर ऐसा व्यवहार करते हैं मानो उन्होंने उन बातों को सुना ही ना हो।


Wednesday, February 9, 2022

Adjustment(समायोजन):-

 समायोजन का अर्थ:-समायोजन(सम+आयोजन)मतलब सुव्यवस्थित ढंग से परिस्थितियों के साथ अनुकूलन की प्रक्रिया है जिससे व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति होती है तथा मानसिक द्वंद उत्पन्न नही होने पाता है।

गेट्स व अन्य-"समायोजन निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने वातावरण के बीच संतुलित संबंध रखने के लिए अपने व्यहवार में परिवर्तन करता है।"

"Adjustment is a continual process,by which a person varies his behavior to produce a more harmonious relationship between himself and his environment."_Gates&Others

सुसमायोजित व्यक्ति के लक्षण(Characteristics of Well-Adjusted Person:-

"संक्षेप में सुसमायोजित व्यक्ति वह है जिसकी आवश्यकताएं एवं तृप्तियां सामाजिक दृष्टिकोण तथा सामाजिक उत्तरदायित्व की स्वीकृति के साथ संगठित हों।"

"In short,the well adjusted person is one,whose needs and satisfactions in life are integrated with a sense of social feeling and an acceptance of social responsibility."

कुसमायोजित व्यक्ति के लक्षण(Characteristics of Maladjustmented Person):-कुसमायोजित व्यक्ति मानसिक द्वंद एवं कुंठा से युक्त होता है।

स्किनर के अनुसार-"समायोजन एक अधिगम प्रक्रिया है"

मानसिक रोग:-

1.तनावTension):-जब व्यक्ति समय की मांग के अनुरूप व्यहवार न करने की स्थिति में व्यक्ति तनावग्रस्त हो जाता है।

2.दुश्चिंता(Anxiety):-व्यक्ति की अधूरी इच्छायें स्वतः ही अचेतन मन में चली जाती हैं जो फिर चेतन मन में आने के लिये प्रयासरत रहती है।चेतन और अचेतन मन के मध्य इसी संघर्ष मय स्थिति को दुश्चिंता कहते है।

3.दबाव(Stress):-दबाब एक संकट की स्थिति है, जिससे उबरने के लिये व्यक्ति अपनी सारी ऊर्जा को लगा देता है"।

4. भग्नासा/कुंठा₹Frustration):-बार-बार प्रयत्न करने के बाद भी व्यक्ति जब असफल हो जाता है तो उसमें निराशा की भावना पैदा हो जाती है जिसे भग्नासा या कुण्ठा कहते है।

5.द्वंद्व या संघर्ष(Conflict):-जब दो प्रतिकूल अवसर उत्पन्न हो जाते हैं तथा चयन किसी एक का करना होता है तो मस्तिष्क में संघर्ष उत्पन्न हो जाता है।

Q1.किशोरों में द्वन्द्व उभरने  का कारण-

(1)निराशा                         (2)समायोजन का अभाव

(3)अवसरों की प्रतिकूलता     (4)पीढ़ियों का अंतर

Q2.समायोजन की प्रक्रिया है-

(1)स्थिर                                (2)गतिशील

(3)स्थानापन्न                         (4)सभी

Q3.कुसमायोजित बालक का लक्षण है-

(1)विद्यालय से भाग जाना  (2)आक्रमणकारी व्यहवार

(3)एकान्तवासी                (4)सभी

Q4.एक समायोजित व्यक्ति की विशेषता नही होती है-         (1) उत्तरदायित्व की स्वीकृति (2)उचित संवेगों का प्रदर्शन

(2 )व्यक्तिक उद्देश्यों का प्रदर्शन (4) दूसरों के साथ संबंध बनाने की योजना

Q5.माता-पिता की नकारात्मक मनोवृत्ति से लक्ष्य पर नहीं पहुँचने की कुण्ठा है-

(1)व्यक्तिगत कुण्ठा                  (2)पर्यावरण कुण्ठा

(3)संघर्ष उत्पन्न करना               (4)सभी

Q6. सभी आक्रामक व्यवहार कुंठा से उत्पन्न होता है परंतु सभी तरह के कुंठा से आक्रामक व्यवहार उत्पन्न नहीं होता है यह है-

(1) स्वतंत्रता प्राकल्पना  (2)कुण्ठा-आक्रामकता प्राकल्पना

(3)ग्रीन प्राकल्पना         (4)कोई नही

Q7. कुसमायोजन का कारण नहीं है-

(1)कुंठा                                     (2)गरीबी

(3)शारीरिक बनावट                    (4)भागने की प्रवृत्ति

Q8 कुसमायोजित बालक के साथ शिक्षक का व्यवहार नहीं होना चाहिए-

(1)प्रेम व सहयोगात्मक (2)कारणों का पता लगाकर समाधान

(निदानात्मक               (4)दमनात्मक

Q9. मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति किस दुनिया में रहता है?

(1)मूल्यों की दुनियां में  (2)आदर्शों की दुनिया में

(3)वास्तविक दुनिया में  (4)कल्पना की दुनिया मे

Q10. मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में कौन सी विशेषता नहीं होती है?

(1)आशावादी                           (2)निराशावादी

(3)लगनशील                           (4)प्रायोगिक

Answer key-

1.(3)  2.(2)  3.(4)  4.(3)  5.(2) 6.(2)  7.(4) 8.(4)  9.(3)  10.(2)


Tuesday, February 8, 2022

Mental health( मानसिक स्वास्थ्य)

 मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ( meaning of Mental Health):- मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति के द्वारा समायोजन करने की योग्यता का परिणाम होता है।

ड्रेवर के अनुसार-"मानसिक आरोग्यता का अर्थ मानसिक स्वास्थ्य के नियमों की खोज करना तथा उसे बनाये रखने के उपाय करने से है।"

Mental hygiene means investigation of  the laws of mental health and the taking of measures for its preservation._Ddever

मानसिक आरोग्यता का अर्थ (meaning of mental hygiene):- मानसिक आरोग्यता एक ऐसा साधन है जिसका साध्य मानसिक स्वास्थ्य है। मानसिक आरोग्यता के विज्ञान की सहायता से व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने, व्यक्ति को मानसिक  समायोजन से बचाए रखना तथा मानसिक रोगों का उपचार करने के उपाय किए जाते हैं।

मानसिक आरोग्यता के उद्देश्य (aims of of mental hygiene):-

1. मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करना maintenance of Mental Health)

2. मानसिक रोगों तथा विकारों की रोकथाम करना (prevention of of mental disease or disorder)

3. मानसिक रोगों का उपचार करना (treatment of mental disorders)

अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण(Characteristics of Good Mental Health):-

1. संतुलित एकीकृत तथा समन्वित विकास(Balanced, Integrated and Harmonious Development)

2. नियमित दिनचर्या(Regular Life)

3.समायोजन योग्यता(Ability to Adjustment)

4.संवेगात्मक परिपक्वता(Emotional Maturity)

5. आत्मविश्वास(Self Confidence)

6.सहनशीलता(Tolerence)

7.निर्णय करने की योग्यता(Ability to Decide)

8.वास्तविकता की स्वीकृति(Acceptance of Reality)

9.आत्ममूल्यांकन की क्षमता(Capacity of self Evaluation)

10.कार्य संतुष्टि(Work Satisfaction)

मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Mental Health):-

1.वंशानुक्रम(Heredity):-कभी-कभी बालक वंशानुक्रम में अपने पूर्वजों से कुछ मानसिक विकारों को प्राप्त करता है।

2.शारीरिक स्वास्थ्य(Physical Health):-शारीरिक दृष्टि से अस्वस्थ,रोगी या कमजोर व्यक्तियों में नई परस्थितियों से समायोजन करने की क्षमता प्रायः कम होती है।

3.शारीरिक विसंगतियां(Physical Defects):-जन्मजात अथवा दुर्घटना के कारण आई शारीरिक विसंगतियाँ भी मानसिक समायोजन में कठनाई उत्पन्न करती है।

4.परिवार का वातावरण(Family Environment):-बालक के विकास में परिवार का प्रत्येक पक्ष अपनी भूमिका निभाता है।

5.समाज(Society):-बालक के मानसिक स्वास्थ्य पर समाज का प्रभाव पड़ना स्वभाविक है।

6.विद्यालय(School):-विद्यालय का वातावरण से लेकर जितनी भी गतिविधियां है उन सभी से बालक प्रभावित होता है।


Monday, February 7, 2022

TET,SUPER TET,CTET,UGC NET MCQ

 Q1. "बच्चों में नैतिक व्यवहार को सीखने का मुख्य आधार प्रेक्षण है "यह मत निम्न में से किस सिद्धांत का है?

(1) सामाजिक अधिगम सिद्धांत(2) मनोविश्लेषण सिद्धांत

(3) जीन पियाजे का नैतिक विकास का सिद्धांत(4) लारेंस कोहलबर्ग का नैतिक विकास का सिद्धांत

Q2. पियाजे के अनुसार औपचारिक संक्रिया की अवस्था है-

(1)11 वर्ष से वयस्कावस्था    (2)12वर्ष से वयस्कावस्था

(3)13 वर्ष से वयस्कावस्था    (4)14वर्ष से वयस्कावस्था

Q3. अधिगम के संज्ञानात्मक क्षेत्र सिद्धांत का प्रतिपादन किसने किया?

(1) कोहलर                             (2) सी.एल.हल

(3) कर्ट लेविन                         (4)बी.एफ.स्किनर

Q4. "व्यक्ति अपनी गलतियों से सीखता है ।"यह कथन अधिगम के किस सिद्धांत पर आधारित है?

(1) यांत्रिक अनुबंध।                 (2) शास्त्रीय अनुबंध

(3)अन्तर्दृष्टि                             (4)प्रयास एवं त्रुटि

Q5. निम्नांकित में से किसने किशोरावस्था से संबंधित अध्ययन किए?

(1) थार्नडाइक                            (2) स्टैनले हॉल

(3) बिगे व हंट                           (4) आइजेक

Q6. विकास के संबंध में कौन सा कथन गलत है?

(1) यह परिपक्वता तक चलता है(2) यह गर्भावस्था से प्रारंभ हो जाता है(3) यह परिवर्तनों का प्रगतिशील क्रम है(4) यह एक सतत प्रक्रिया है

Q7 .अधिगम प्रक्रिया में समस्यात्मक परिस्थिति का प्रत्यय किसने दिया?

(1) स्किनर                                    (2) कार्ल रोजर

(3)गिल्फोर्ड                                     (4)कोहलर

Q8. थार्नडाइक के अनुसार निम्न में से कौन सा अधिगम का गौण नियम है?

(1)अभ्यास का नियम             (2)मनोवृत्ति का नियम

(3)क्रिया प्रसूत अनुबंधन   (4)अन्तरनोद न्यूनीकरण सिद्धान्त

Q9. निम्नलिखित में से कौन-सी अधिगम की सर्वाधिक प्रभावशाली विधि है?

(1)करके सीखना                       (2)व्याख्यान

(3)स्मृति                                   (4)कंप्यूटर द्वारा सीखना

Q10. समायोजन की प्रक्रिया में कौन सा लक्षण पाया जाता है?

(1)संवेगात्मक अस्थिरता                   (2)कुंठा

(3)तनाव     (4)साहसी एवं समस्या समाधान युक्त व्यहवार

Answer key-

Q1.(1)      2.(2)  3.(3)   4.(4)   5.(2)   6.(1)   7.(4)  8.(2)   9.(1)   10.(4)


Sunday, February 6, 2022

Bandura's Social Learning Theory( बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत)

 बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत-

उपनाम-अप्रत्यक्षात्मक अधिगम(Vicarious Learning),अवलोकनात्मक अधिगम(Indirect Experiences)

प्रतिपादक:- अल्बर्ट बंडूरा

निवासी:-कनाडा

जन्म:-1925(4Dec.)

सिद्धान्त दिया:-1977में

-बंडूरा द्वारा किए गए प्रयोग:-बेबीडॉल,जीवित जोकर(फ़िल्म)

-सामाजिक अधिगम का अर्थ:- दूसरों को देखकर उनके अनुरूप व्यवहार करने के कारण व दूसरों के व्यवहार को अपने जीवन में उतारने तथा समाज द्वारा स्वीकृत व्यवहारों को धारण करने तथा अमान्य व्यवहारों  को त्यागने का कारण ही सामाजिक अधिगम कहलाता है।

-इस सिद्धांत में अनुकरण द्वारा ही सीखा जाता है

बंडूरा ने अपने सिद्धांत में 4 पद बताए हैं-

1.अवधान:- निरीक्षणकर्ता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए मॉडल आकर्षक लोकप्रिय रोचक व सफल होना चाहिए।

2.धारण:- व्यक्ति व्यवहारों को अपने मस्तिष्क में प्रतिमानों के रूप में व शाब्दिक वर्णन के रूप में ग्रहण कर लेता है।

3.पुनः प्रस्तुतिकरण:- जिसको हम ध्यान से देख कर धारण करते हैं और धारण करने के बाद मैं उसे पुनः प्रस्तुतीकरण करेंगे।

4.पुनर्बलन: जहां सकारात्मक पुनर्बलन मिलने पर हम उस कार्य को दोबारा करेंगे और नकारात्मक पुनर्बलन मिलने पर हम उस कार्य को पुनः नहीं करेंगे।

- प्रथम इस फिल्म में बालक को सामाजिक मूल्य आधारित पहलू दिखाए गए जिसे देखकर बालक बेबी डॉल के साथ सामाजिक व्यवहार दर्शाता है

- दूसरी यह फिल्म प्रेम पर आधारित थी जिसे देखकर बालक बेबी डॉल से स्नेह करता है उसे सहलाता है।

- तीसरी यह फिल्म हिंसात्मक दृश्य युक्त थी जिसे देखकर बालक गुड़िया की गर्दन को तोड़ देता है।

सामाजिक अधिगम के कारक-(1) अभिप्रेरणा(2)स्वनियंत्रण(3)स्वविवेक(4)स्वनिर्णय(5) स्वानुक्रि सामाजिक अधिगम का शैक्षिक महत्व-

(1) शिक्षक छात्रों के सामने आदर्श विहार वाले मॉडल प्रस्तुत करें।

(2) बुरे व्यवहार उपस्थिति ना होने दें।

(3) स्व नियंत्रण की विधि अपनाएं।


Saturday, February 5, 2022

Hierarchy of Learning(अधिगम सोपानिकी)

 -रॉबर्ट गेने(Robert Gagne)  नामक मनोवैज्ञानिक ने अधिगम की प्रकृति को समझने के लिए अधिगम सोपानिकी नामक शवदावली का प्रयोग किया।

-गेने ने अधिगम सोपानिकी  को आठ प्रकार का बताया:-

1.संकेत अधिगम(Signal Learning)-संकेत अधिगम को क्लासिकल अनुबंधन भी कहा जाता है।

2.उद्दीपक-अनुक्रिया अधिगम(Stimulus Response Learning)-यह अधिगम स्किनर के क्रियाप्रसूत अनुबंधन(Operant Conditioning)पर आधारित है।

3.श्रृंखला अधिगम(Chain Learning)-इसे क्रमिक अधिगम भी कहते है।श्रृंखला अधिगम शाब्दिक अशाब्दिक दोनों होते है।

4.शाब्दिक अधिगम (Verbal Learning)-इसे भाषा शिक्षण में अधिक प्रयोग किया जाता है।

5.बहु विभेदन अधिगम(Multiple Discrimination Learning)-इस दशा में अवबोध स्तर के शिक्षण को उपयुक्त माना जाता है।

6.प्रत्यय अधिगम(Concept Learning)-इसके लिए शिक्षकों को अवबोध स्तर पर शिक्षण की आवश्यकता होती है।केण्डलर ने इस अधिगम को प्राथमिकता प्रदान की है।

7.सिद्धान्त अधिगम(Principle Learning)-यहाँ पर  शिक्षण चिंतन स्तर पर किया जाना आवश्यक है।

8.समस्या-समाधान अधिगम(Problem Solving Learning)-यह अधिगम भी चिन्तन स्तर शिक्षण के द्वारा सम्पन्न होता है।

Q1.गेने के अनुसार,निम्नलिखित में कौनसा अधिगम का प्रकार नही है-

(1)उद्दीपन-अनुक्रिया                      (2)सम्प्रत्यय

(3)समस्या-समाधान                       (4)अन्वेषण

Q2."शिक्षण का तातपर्य है अधिगम की दशा को व्यवस्थित करना जो कि अधिगमकर्ता की बाह्यता से संबंधित है।" शिक्षण को इस तरह किसने परिभाषित किया?

(1)रॉबर्ट एम.गेने                     (2)एन. एल.गेज

(3)विलियम एन. बर्टन             (4)जान ब्रूबेकर

Q3.गेने के अनुसार सीखने का सबसे उच्च स्तर कौनसा है?

(1)संप्रत्यय अधिगम             (2)समस्या समाधान

(3) श्रृंखला।                        (4)संकेत अधिगम

Q4.रॉबर्ट गेने के अनुसार, निम्न में से कौनसा अधिगम का प्रकार नही है?

(1)अंतदृष्टि अधिगम           (2) संकेत अधिगम

(3) प्रत्यय का अधिगम       (4)उद्दीपक-अनुक्रिया अधिगम

Q5.'संकेत अधिगम जो गेने के सीखने के' को सामान्यतया जाना जाता है-

(1)साहचर्य अधिगम     (2)उद्दीपन-अनुक्रिया अधिगम

(3)श्रंखला अधिगम      (4)परंपरागत संबद्धता अधिगम

Q6.रॉबर्ट गेने ने अधिगम की कितनी परस्थितियों का वर्णन किया है?

(1)5              (2)7                  (3)8                  (4)6   

Q7.श्रृंखला अधिगम संबंधित है?

(1)टॉलमैन                                        (2)गेने

(3)थार्नडाइक।                                   (4)ब्रूनर

Q8.गेने की अधिगम परस्थितियों में सबसे सरलतम प्रारुप है-

(1)संकेत अधिगम                  (2)प्रत्यय अधिगम

(3)अधिनियम अधिगम           (4)उपर्युक्त सभी

Q9.समस्या -समाधान अधिगम का प्रत्यक्ष सम्बन्ध है-

(1)चिंतन स्तर से                      (2)स्मृति स्तर से

(3)अवबोध स्तर से                 (4)उपरोक्त में से कोई नही

Q10.बहुभेदीय अधिगम का तुलनात्मक संबंध है-

(1)अवबोध स्तर से                  (2)चिंतन स्तर से

(3)ज्ञान स्तर से                      (4)स्मृति स्तर से

Ansewr key-

(1).4 (2).1 (3).2 (4).1 (5).4  (6).3  (7).2  (8).1  (9).1   (10).1


Thursday, February 3, 2022

TET,NET and PGT MCQ

                    Test Paper 1 MCQ

Q1.Which of the following is the correct sequence of "Motivational cycle"?

(1)Drive-Need-Incentive (2)Need-Drive-Incentive

(3) Incentive-Need-Drive (4)Drive-Incentive-Need

Q2.Motives are classified as-

(1) Natural and artificial (2)Less Important and more important (3)Inborn and acquired (4)Motives and incentives

Q3.All of the following are acquired or social motives except-

(1)Instincts               (2)Need for achievement

(3)Need for affiliation (4)Need for Power

Q4.All of the following are approaches or theories of motivation except-

(1)Multi-factor theory (2)Instinct theories

(3)Drive theories (4)Need hierarchy theory

Q5.Who of the following is not associated with

Instinct theory of motivation?

(1) William James                    (2)Woodworth

(3)Freud.                                     (4) Mc Dougall

Q6.Who said that behaviors of human beings are motivated and controlled by the instincts of Eros and Thanatos ?

(1)Mc Dougall                 (2) William James

(3)Freud.                            (4) Woodworth

Q7.Motivation to S-R associationists is a-

(1) Dynamic concept (2) Mechanical concept

(3) Phenomenological concept (4) Meaningless concept

Q8.Motive is a-

(1) General trait.   (2) Specific trait    (3)Desire (4) Particular condition of human organism

Q9.A motive or drive leads an organism to behaviour that is-

(1) Adaptive                       (2)Pleasure-seeking

(3)Goal-directed                (4)Pain-avoiding

Q10.Physiological theory of motivation was developed by-

(1)Hull.                                (2)Spence

(3)Morgan                          (4) Maslow

Answer- 1.(2)  2.(3) 3.(1)  4.(1)  5.(2)  6.(3)  7.(2) 

8.(3)  9.(3)  10.  (3)




Wednesday, February 2, 2022

Lewin's Field Theory(लेविन का क्षेत्र सिद्धान्त)

 प्रतिपादक-कर्ट लेविन(Kurt Lewin)1917 में

सिद्धान्त का उपनाम-संज्ञनात्मक क्षेत्र सिद्धान्त(Cognitive Field Theory), टोपोलॉजिकल मनोविज्ञान(Topological Psychology), वैक्टर मनोविज्ञान(Vector Psychology)

अर्थ:-क्षेत्र सिद्धान्त मानव व्यवहार और वातावरण दोनों का प्रतिफल है।

B=f(P×E)जिसमें B को व्यवहार(Behaviour),P को व्यक्ति(person)तथा E को वातावरण(Enviornment) है।

-E मनोवैज्ञानिक वातावरण है।f का मतलब है प्रक्रिया(function)

-लेविन ने अधिगम क्रिया में मनोवैज्ञानिक वातावरण तथा प्रेरणा को विशिष्ट महत्व दिया है।

-लेविन ने अधिगम के मार्ग में आने वाली बाधाओं पर विजय प्राप्त करने तथा लक्ष्य तक पहुँचने का उपाय भी बताया है।

-लेविन अधिगम को वातावरण का संगठन मंटा मानता है तथा वह अधिगम में पुरस्कार व दण्ड को अधिक महत्व देता है।

-वह अभिप्रेरण(Motivation)को महत्व देता है।

लेविन ने अधिगम के आधारों में निम्न को अधिक महत्व दिया-

1.आकांक्षाओं का स्तर(Level of Aspiration)-

2.आकर्षक उद्देश्य(Goal Attractiveness)

3.स्मृति की गति(Dynamics of Memory)

4.पुरुस्कार और दण्ड(Reward and Punishment)-इस सिद्धांत को "तलरूप सिद्धान्त"(Topology of Field Theory)भी कहा जाता है।

-इस सिद्धान्त के अनुसार शिक्षक को कक्षा का वातावरण अधिगम के लिए उपयुक्त बनाना चाहिए क्योंकि अच्छा वातावरण अनेक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत कर देता है।

Tolman's Theory of Learning (टॉलमेन का अधिगम सिद्धान्त):-

प्रतिपादक-एडवर्ड चेस टॉलमैन (Edward Chace Tolman)-1932में।

उपनाम:-चिन्ह सिद्धान्त(Sign Theory),चिन्ह अधिगम सिद्धान्त(Sign Learning Theory),चिन्ह-गेस्टाल्ट सिद्धान्त(Sign-Gestalt Theory),प्रत्याशा सिद्धान्त(Expectancy Theory),उद्देश्य सिद्धान्त (Purposive Theory)।

-टालमैन ने व्यवहारवादियों की तरह से व्यवहार को छोटी-छोटी इकाइयों में विभक्त करने के स्थान पर उसका समग्र रूप में अध्ययन करने पर बल दिया तथा व्यवहार को उद्देश्यपूर्ण माना है।

-टॉलमैन ने न्यूनतम प्रयास का नियम(Principle of Least Effort)-लक्ष्य पर पहुँचने के लिए उपलब्ध विभिन्न रास्तों में से प्राणी सबसे छोटे रास्ते को ही अपनाता है।



Supreme Court of India

1.भारत का संघीय न्यायालय की स्थापना 1अक्टूबर,1937 को भारत सरकार अधिनियम,1935 के तहत की गयी थी।इसके प्रथम मुख्य न्यायाधीश सर मौरिस ग्वेयर थे।...