TRAIT THEORY OF PERSONALITY / व्यक्तित्व का शील गुण सिद्धान्त
व्यक्तित्व के शील गुणों के आधार पर दो प्रमुख सिद्धान्त इस प्रकार हैं -
1 - G . W Allport का शील गुण सिद्धान्त
2- R.B Cattell का शील गुण सिद्धान्त
1- G W Allport का शील गुण सिद्धान्त -
आलपोर्ट ने शील गुणों को दो भागों में बांटा है -
A - सामान्य शील गुण ( Common Traits) -
- ऐसे शील गुण जो किसी समाज / संस्कृति के अधिकांश व्यक्तियों में पाये जाते हैं ।
- इन्हे सरलता से ज्ञात किया जा सकता है ।
B - व्यक्तिगत शील गुण ( Personal Traits)-
- ये शील गुण जो बहुत कम व्यक्तियों में पाये जाते हैं ।
- इनका अध्ययन बहुत कठिन होता है ।
1- प्रमुख प्रवृत्ति ( Cardinal Disposition )-
- वे प्रमुख व प्रबल शील गुण जो छिपाए नही जा सकते एवं व्यक्ति के व्यवहार से परिलक्षित हो जाते हैं ।
- जैसे - सत्य ,अहिंसा में प्रबल विश्वास होना ।
2- केन्द्रीय प्रवृत्ति ( Central Disposition) -
- वे शील गुण जो व्यक्ति में अधिक सक्रिय रहते हैं एवं अधिकांश व्यवहारों मे दिखाई देते हैं ।
- प्रत्येक व्यक्ति मे 5-10 ऐसे शील गुण होते हैं
- केंद्रीय प्रवृत्ति के शील गुण ही व्यक्तित्व की रचना करते हैं ।
- जैसे - आत्मविश्वास ,समाजिकता , उत्साह ,व्यवहार कुशलता आदि ।
3- गौण प्रवृत्ति ( Secondary Disposition ) -
- ये शील गुण कम महत्वपूर्ण व कम संगत होते हैं तथा व्यवहार में कभी - कभी परिलक्षित होते हैं ।
- इनकी सहायता से व्यक्तित्व की ब्याख्या संभव नही होती है ।
स्मरणीय बिन्दु - एक शील गुण जो एक व्यक्ति के लिए केंद्रीय प्रवृत्ति का है वही शील गुण दूसरे व्यक्ति के लिए गौण प्रवृत्ति या प्रमुख प्रवृत्ति का हो सकता है ।
अपनापन (PROPRIUM) - उत्पत्ति =लैटिन शब्द Proprius = अपना / Own
आलपोर्ट के अनुसार व्यक्तित्व में शील गुणों के समन्वय ( Integration ) व संगतता ( Consistency ) का भाव समाहित होता है जिसे अपनापन ( Proprium) कहा जाता है ।
अपनेपन (Proprium ) की अवस्थाएँ - ( शैशववस्था से किशोरावस्था तक )
- 1-3 वर्ष - शारीरिक स्व ,स्व पहचान ,स्व मान
- 4-6 वर्ष - स्व विस्तार , स्व प्रतिमा
- 6-12 वर्ष - तार्किक अनुकूलन
- 12-18 वर्ष - उपयुक्त प्रयास
- किशोरावस्था में Proprium का पूर्ण विकास हो जाता है ।
- व्यक्तित्व जन्मजात न होकर परिस्थितियों से प्रभावित होकर विकसित होता है ।