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Friday, March 4, 2022

TET,SUPER TET,CTET,UGC NET MCQ

 MCQ TET,CTET

Q1.निम्नलिखित में से कौन सी बुद्धि की(आयाम)जे.पी. गिलफोर्ड द्वारा नहीं दी गई है?

(1)संक्रियाएँ                            (2)प्रणाली

(३)विषयवस्तु                           (4)उत्पाद

Q2.निम्नलिखित में से किस मनोवैज्ञानिक ने बहुबुद्धि सिद्धान्त दिया हैं?

(1)कैटल                                  (2)बर्ट

(3)पियर्सन                                (4)गार्डनर

Q3.यह विश्वास कि बुद्धि एक सामान्य मानसिक योग्यता है,निम्नलिखित में से किस मनोवैज्ञानिक के कार्य का परिणाम है?

(1)बिने                                  (2)स्पियरमैन


(3)गार्डनर                               (4)स्टैनबर्ग

Q4.वाइगोत्सकी के अनुसार निम्नलिखित में से कौन से उपकरण एक व्यक्ति के संज्ञानात्मक विकास में सहायता प्रदान करते हैं?

(1)सामाजिक और सांस्कृतिक उपकरण (2)भौतिक उपकरण

(3)सांवेगिक उपकरण                  (4)व्यक्तिगत उपकरण

Q5.निम्नलिखित में से कौनसी एरिक्सन द्वारा प्रदत्त किशोरावस्था की मनोसामाजिक अवस्था है?

(1)विश्वास बनाम अविश्वास (2)स्वायत्तता बनाम शर्म एवं संदेह

(3)पहचान बनाम भूमिका संघर्ष (4)पहल बनाम अपराधबोध

Q6." प्रत्यक्ष अवलोकन घटनाएं ,उद्दीपक एवं अनुक्रियाएं मनोविज्ञान के अध्ययन के मुख्य विषय हैं" यह निम्नांकित में किस के विचारों की सर्वोत्तम व्याख्या है?

(1)संरचनावाद                                  (2) व्यवहारवाद

(3) समग्रवाद /गेस्टाल्टवाद                    (4)प्रकार्यवाद

Q7.किशोरावस्था जीन पियाजे द्वारा दिए गए संज्ञानात्मक विकास की किस अवस्था के अंतर्गत आती है?

(1) संवेदीपेशीयअवस्था    (2) पूर्व संक्रियात्मक अवस्था

(3) मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (4) औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था

Q8. वातावरण में सब बाह्य तत्व आ जाते हैं ,जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित किया है ?,यह कथन था-

(1)डगलस एवं हॉलैंड का             (2)वुडवर्थ का

(3)वुल्फ एवं वुल्फ का                 (4)हरलॉक का

Q9. निम्नलिखित मैं से कौन सा क्रेस्मर द्वारा प्रदत व्यक्तित्व के शरीर रचना सिद्धांत के वर्गीकरण का एक प्रकार है?

(1)गोलाकृति                      (2)आयताक्रति

(3)दुर्बल                            (4) लम्बाकृति

Q10. बैलक ने व्यक्तित्व मापन के लिए तैयार किए गए बालकों के प्रसंगबोध परीक्षण हेतु क्या आयु वर्ग रखा था?

(1)0 से 5 वर्ष                     (2)2 से 5 वर्ष

(3)3 से 10 वर्ष                    (4)5 से 10 वर्ष

Answer key:-

1.(2) 2.(4) 3.(2) 4.(1) 5.(3) 6.(2) 7.(4) 8.(2) 9.(3) 10.(3)

Theories of Intelligence


 Theories of Intelligence  (बुद्धि के सिद्धान्त)

बुद्धि  के सिद्धांतों को कारकों की संख्या के आधार पर वर्गीकृत किया गया  है , इन्हे बुद्धि के कारकीय सिद्धान्त         ( Factored Theories of Intelligence ) कहा जाता है ।  

बुद्धि के प्रमुख कारकीय सिद्धान्त एवं  उनके प्रवर्तक 

एक कारक सिद्धान्त-    Uni Factor Theory -     Binet

2 द्विकारक सिद्धांत  -      Two Factor Theory -    Spearman

3 बहुकारक सिद्धांत -      Multi Factor theory -   Thorndike

4 समूह कारक सिद्धांत -  Group Factor Theory - Thurston

5 पदानुक्रमिक सिद्धांत -  Hierarchical Theory -   Philip Vernon

6- बुद्धि संरचना -            Structure of  Intellect -  J P Guilford 

7- तरल ठोस बुद्धि सिद्धान्त Fluid - Crystallized Intelligence  Theory -  R B Cattell 

8- बहु बुद्धि संरचना Multiple Intelligence Theory  - Hovard Gardner  

एक कारक सिद्धान्त (Uni -Factor Theory )

इस सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि एक अविभाज्य इकाई ( Indivisible Unit ) है , जिसके द्वारा समस्त मानसिक क्रियाएँ नियंत्रित होती हैं ।  





द्विकारक सिद्धान्त (Two Factor Theory )

इस सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि दो कारकों से मिलकर बनी है  । 

ये दो कारक हैं -

1-सामान्य योग्यता कारक ( G - Factor )

 2- विशिष्ट योग्यता कारक ( S - Factor ) । 

G - Factor - 

  • ये जन्मजात योग्यता है 
  • सभी मानसिक क्रियाओं को करने में इसकी आवश्यकता होती है। 
  • विभिन्न व्यक्तियों में G कारक भिन्न -भिन्न मात्रा में उपस्थिति रहता है । 
  • दैनिक जीवन के कार्यों में G कारकों का उपयोग अधिक होता है । 

S - Factor -

  • ये एक अर्जित योग्यता है । 
  • ये विशिष्ट योग्यताओं का एक समूह है । 
  • अलग अलग मानसिक कार्यों के लिए अलग अलग विशिष्ट योग्यताओं की आवश्यकता होती है । 
  • प्रत्येक व्यक्ति में अलग अलग मात्रा में विशिष्ट योग्यताएं होती हैं । 
  • G तथा S कारक दोनों मिलकर ही किसी मानसिक कार्य को सम्पन्न करने की क्षमता प्रदान करते हैं । 




Multi - Factor Theory/ Sand Theory Of  Intelligence 

बहु -कारक सिद्धान्त   / बुद्दि का बालू सिद्धांत


इस सिद्धान्त के अनुसार -

  • बुद्धि असंख्य स्वतंत्र कारकों से मिलकर बनी है । 
  • इन स्वतंत्र कारकों में से प्रत्येक कारक किसी विशिष्ट मानसिक योग्यताओं का आंशिक प्रतिनिधित्व करता है । 
  • किसी भी मानसिक कार्य को करने में ऐसे अनेक छोटे छोटे कारक साथ मिलकर सहायता करते हैं । 
  • विभिन्न प्रकार के मानसिक कार्यों में इन छोटे छोटे कारकों के भिन्न भिन्न समूहों की आवश्यकता होती है । 

 

Thursday, March 3, 2022

Intelligence(बुद्धि)

 

Intelligence बुद्धि



अर्थ Meaning 
बुद्धि एक मानसिक क्षमता होती है जो व्यक्ति को जीवन के विभिन्न कार्यों  जैसे शारिरिक, मानसिक, सामाजिक आदि को करने एवं स्वयं के अस्तित्व को बनाये रखने में मार्गदर्शक की भूमिका निभाती है ।



परिभाषा Definition
"बुद्धि जीवन की नई परिस्थितियों तथा समस्याओं के अनुरूप समायोजन की सामान्य योग्यता है" -स्टर्न 
Intelligence is a general adaptation to new conditions and problems of life - Stern

बुध्दि अपेक्षाकृत नई परिस्थितियों में समायोजन करने की जन्मजात क्षमता है- बर्ट
Intelligence is the innate capacity to adapt relatively to new situation -Bert

बुद्धि सीखने की योग्यता है - बकिंघम
Intelligence is the ability to learn-Bukingham

बुद्धि अमूर्त चिंतन की योग्यता है - टरमन
Intellegence is the ability of abstract thinning-. Terman

सामान्य अर्थ -
 बुद्धि व्यक्ति की समायोजन योग्यता, अधिगम योग्यता, अमूर्त्त चिंतन, तार्किक चिंतन की योग्यता है | अर्थात बुद्धि एक सामूहिक योग्यता है ।

बुद्धि के पक्ष - 
कार्यात्मक पक्ष Functional Aspect
संरचनात्मक पक्ष  Structural Aspect
क्रियात्मक पक्ष  Operational Aspect

बुध्दि के प्रकार  Types of Intelligence

E L Thorndike ने बुद्धि को  तीन वर्गों में विभाजित किया है-

सामाजिक बुद्धि Social Intelligence -  व्यक्तियों को समझना एवं व्यवहार करना।
स्थूल बुद्धि / मूर्ति बुद्धि  Concrete Intelligence - विभिन्न वस्तुओं को समझने तथा उनका करने की योग्यता से है । 
अमूर्त बुध्दि Abstract Intelligence - शाब्दिक तथा गणतीय संकेतो को समझने व प्रयोग करने की योग्यता से है 


बुद्धि को निर्धारित करने वाले कारक  
Factors Determinig Intelligence

वंशानुक्रम Heredity 
वातावरण Environment

बुद्धि के सिद्धान्त / Theories Of  Intelligence 

  1. एक कारक सिद्धान्त          Uni Factor Theory  - बिने 
  2. द्वि कारक सिद्धान्त            Two Factor Theory - स्पीयर मैन 
  3. बहु कारक सिद्धान्त           Multi Factor Theory - थोर्न डाइक 
  4. समूह कारक सिद्धान्त       Group Factor Theory - थर्स्टन 
  5. पदानुक्रमिक सिद्धान्त       Hierarchical Theory - फिलिप बर्नन 
  6. बुद्धि संरचना     Structure of Intellect - जे पी गिलफोर्ड 
  7. तरल - ठोस बुद्धि  सिद्धान्त                 Fluid - Crystallized Intelligence Theory - आर बी कैटल 
  8. बहु बुद्धि संरचना  MultipleIntelligence Theory - होवार्ड गार्डनर

  • ठोस बुद्धि Crystallized Intelligence वातावरण से संबन्धित 

गार्डनर (Gardner )- 1983
इन्होने बुद्धि का बहुबुद्धि सिद्धान्त  Theory of  Multiple Intelligence दिया इसके अनुसार बुद्धि 7 प्रकार की होती है, जो एक व्यक्ति में होती हैं -
  1. भाषायी बुद्धि Linguistic Intelligence 
  2. तार्किक - गणितीय बुद्धि Logical - Mathematical Intelligence 
  3. स्थानिक बुद्धि Spatial Intelligence 
  4. शरीर - गतिकी बुद्धि Body -Kinesthetic Intelligence 
  5. संगीत बुद्धि Musical Intelligence 
  6. व्यक्तिक -आत्म  बुद्धि Personal - Self Intelligence 
  7. व्यक्तिक -अन्य बुद्धि Personal - Others Intelligence 


जे पी गिलफोर्ड  (J P GUILFORD)    
ने बुद्धि का त्रिविमीय रूप प्रस्तुत किया -
इनके अनुसार बुद्धि की तीन विमाएँ होती हैं-
1- विषयवस्तु  content ( 4 प्रकार की मानसिक योग्यताएँ )
2- संक्रियाएँ  Operations ( 5 प्रकार की मानसिक योग्यताएं  )
3- उत्पाद Product  (6 प्रकार की मानसिक योग्यताएँ  )
कुल = 4 x 5 x 6 = 120 प्रकार की मानसिक योग्यताएँ 




Tuesday, March 1, 2022

TET,NET and PGT MCQ

 Q.1शिक्षा मनोविज्ञान की 'विषयवस्तु' की व्यख्या के लिये उपयुक्त पद है-

(1)निश्चयात्मकता                     (2)सम्भावनापूर्ण

(3) पूर्वनियत्ता                         (4)विकासशीलता

Q.2शिक्षण के संबंध में निम्न में से कौनसा क्रम सही है?

(1)स्मरण करना-बोधगम्य करना-चिन्तन करना

(2)बोधगम्य करना- स्मरण करना- चिंतन करना

(3)चिन्तन करना-स्मरण करना- बोधगम्य करना

(4)इनमें से सभी

Q3.व्यक्तिगत विभिन्नता के कारण हैं-

(1)केवल वंशानुगत             (2)केवल पर्यावरण

(3)माता-पिता की भागीदारी (4)पर्यावरण और वंशानुगत दोनों

Q4.शैक्षिक प्रक्रिया में मुख्य तत्व हैं:

(1)अधिगमकर्ता, शिक्षक, अधिगम अनुभव, अधिगम प्रक्रिया,अधिगम परिस्थितियां

(2)अधिगमकर्ता, शिक्षक,अधिगम अनुभव

(3)अधिगमकर्ता, शिक्षक, अधिगम प्रक्रिया

(4)अधिगमकर्ता, अधिगम अनुभव, अधिगम प्रक्रिया, अधिगम परिस्थितियां

Q5.किशोरावस्था में संवेगात्मक विकास हेतु अध्यापक की भूमिका होनी चाहिए

(1)सहयोगात्मक।        ( 2)अनुशासित

(3)प्रभुत्वपूर्ण                 (4)कठोर

Q6." शिक्षण का तात्पर्य है अधिगम की दशा को व्यवस्थित करना जोकि अधिगमकर्ता की बाह्यता से संबंधित है" शिक्षण को इस तरह किसने परिभाषित किया।

(1) रॉबर्ट एम गेने                    (2)एन. एल.गेज

(3)विलियम एन बर्टन              (4)जान ब्रूबेकर

Q7.निम्नलिखित में से कौनसा अभिक्रमित अनुदेशन,उच्चतर की कक्षाओं के लिए उपयोगी है?

(1)रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन     (2)शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन

(3) (1) तथा (2)दोनों     (4)उपरोक्त में से कोई नहीं

Q8."व्यक्ति तब तक नहीं सीख सकता,जब तक वह तत्पर न हो"यह किसने कहा है?

(1)हरलॉक                      (2) थार्नडाइक

(3) गैसेल                       (  4) स्किनर

Q9. शिक्षा मनोविज्ञान नहीं है-

(1) मनोविज्ञान की एक अनुप्रयुक्त शाखा(2) शिक्षा का विज्ञान

(3) एक धनात्मक विज्ञान              (4) एक मानक विज्ञान

Q10." शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा का विज्ञान है" यह परिभाषा किसकी है?

(1) ई. ए. पील               (2)सी.ई. स्किनर

(3)क्रो एवं क्रो               (4)वुडवर्थ

Answer key-

1.(4) 2.(1) 3.(4) 4.(1) 5.(1) 6.(1) 7.(2) 8.(2) 9.(4) 10.(1)

Monday, February 28, 2022

Child Apperception Test ( CAT ) Senior Apperception Test ( SAT )( बालक अंतर्बोध परीक्षण एवं वरिष्ठ अंतर्बोध परीक्षण )

 

Child Apperception Test ( CAT ) Senior Apperception Test ( SAT )( बालक अंतर्बोध परीक्षण एवं वरिष्ठ अंतर्बोध परीक्षण )

 Child Apperception Test  (CAT ) And Senior Apperception Test (SAT )

बालक अंतर्बोध परीक्षण  एवं वरिष्ठ अंतर्बोध परीक्षण 


Child Apperception Test (CAT)

निर्माण - Leopoled Bellak -1948

भारतीय अनुकूलन - डॉ उमा चौधरी द्वारा 1960 

उद्देश्य - बच्चों के व्यक्तित्व के मापन हेतु ।

प्रकार - प्रक्षेपी ( Projective ) 

परीक्षार्थी आयु वर्ग - 3-10 वर्ष 

अभिव्यक्ति का माध्यम - कहानी (बनाना या लिखना )द्वारा 

परीक्षण व्याख्या -

जब बच्चों के  सामने कोई अस्प्ष्ट जानवरों की गतिविधियों को प्रस्तुत किया जाता है तो बच्चे जानवरों के चित्रों / दृश्य की व्याख्या अपने शब्दों में अपनी भावनाएं कल्पना व गुणों के आधार पर व्यक्त  करते हैं , जिससे उनके व्यक्तित्व की पहचान की जा सकती है। 

कुल कार्डों की संख्या - 10 

कार्ड पर चित्र - जानवरों के व्यवहार के 

                   Sample Card Of CAT



Senior Apperception Test  (SAT ) वरिष्ठ अंतर्बोध परीक्षण 

निर्माण - Leopoled Bellak 

उद्देश्य - प्रौढ़ व्यक्तियों के व्यक्तिव की संरचना , समस्याओं ,तनावों एवं चिंताओं का अध्ययन करना । 
भारतीय अनुकूलन - डॉ उमा चौधरी द्वारा 1978 

प्रकार - प्रक्षेपी ( Projective)

आयु वर्ग - 50 + years 

अभिव्यक्ति माध्यम - कहानी व विचार के माध्यम से । 



A Sample Card Of  SAT

परीक्षण व्याख्या -
कार्ड पर छपे  बुजुर्ग व्यक्तियों के विभिन्न मानवीय व्यवहार व परिस्थितियों के चित्रों को देखकर व्यक्ति अपने विचार , भावनाएं , आंतरिक तनावों को अपने अनुभव के आधार पर व्यक्त करता है जिससे उससे व्यक्तित्व की पहचान की जा सकती है । 

कुल कार्डों की संख्या - 16 

कार्डों पर चित्र -  व्यक्तियों  के मानवीय व्यवहार एवं परिस्थितियों के चित्र । 

Saturday, February 26, 2022

Psycho-Analytical Theory

 मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत(Psycho-Analytical Theory)

प्रतिपादक:- सिगमंड फ्रायड(जन्म-6मई 1856,मृत्यु-23सितम्बर 1939)

निवासी-ऑस्ट्रिया(वियना में)

- सिगमंड फ्रायड ने मन की तीन दशाएँ बतायीं है

1.चेतन मन(Conscious Mind) 1/10:- मस्तिष्क की जागृत अवस्था

2.अचेतन मन(Unconscious Mind) 9/10:- कटु अनुभूतियों दुखद बातें तथा दमित इच्छाओं का भंडार

3.अर्द्धचेतन मन(Sub conscious Mind) 00:- चेतन और अचेतन के बीच की अवस्था ।याद की हुई बातों को भूल जाना, अटक जाना, हकलाना आदि बातें अर्द्धचेतन को प्रदर्शित करते हैं।

सिगमंड फ्राइड ने व्यक्तित्व संरचना की दृष्टि से तीन अवस्थाएं बताएं है-

1. Id(इदम्) सुखवादी सिद्धांत पर आधारित, पशु प्रवृत्ति का, अचेतन मन का राजा ,अर्थात दमित इच्छाओं को पूर्ण करने वाला, व्यक्ति की जन्मजात मनःशक्तियों का भंडार होता है। इसकी प्रकृति मूल प्रवृत्तियों पर निर्भर करती है। इदम् यौन प्रवृत्ति तथा आक्रामकता पर आधारित होता है। यह पूर्णता अचेतन होता है। यह व्यक्तित्व का जैविक पहलू है।

2.Ego( अहम) वास्तविक सिद्धांत पर आधारित चेतन मन का स्वामी। अहम यथार्थता के सिद्धांत पर कार्य करता है। अहम को व्यक्तित्व का मनोवैज्ञानिक पहलू माना जाता है।

3.Super Ego( परम अहं) आदर्शवादी सिद्धांत पर आधारित

 परम अहं नैतिकता के सिद्धांत पर कार्य करता है इसको नैतिकता का कमांडर कहा जाता है ।यह पूर्णता चेतन होता है । इसे हम अंतरात्मा कहते हैं। परम अहम व्यक्तित्व का सामाजिक पहलू माना जाता है।

मूल प्रवृत्तियां(Instincts):-

1. जीवन मूल प्रवृत्ति या यौन प्रेम(Life Instincts or Eros):- जीवन मूल प्रवृत्ति व्यक्ति को जीवित रहने के लिए प्रेरणा स्रोत का काम करती है। जीवन मूलप्रवृत्ति से संबंधित सभी मूल प्रवृत्तियों में निहित संपूर्ण मानसिक शक्ति को फ़्रायड ने काम शक्ति(Libido) का नाम दिया है ।जिनमें काम-वासना भूख तथा प्यास मुख्य हैं ।मनोविश्लेषण में जीवन मूल प्रवृत्तियों के संपूर्ण समूह को संगठित रूप में फ़्रायड ने यौन प्रेम (Eros)का नाम दिया है।

2.मृत्यु मूल प्रवृत्ति( Death Instinct or Thanatos):-

मृत्यु के उपरांत व्यक्ति की सभी प्रकार की जैविक आवश्यकताओं का अंत हो जाता है। मृत्यु मूल प्रवृत्ति में मृत्यु प्राप्त करने की अचेतन भावना नीहित रहती है फ़्रायड के  अनुसार प्राणी के जीवन का उद्देश्य मृत्यु है।

फ्राइड ने व्यक्तित्व के विकास में लैंगिक मूल प्रवृत्ति(Sexual) को एक महत्वपूर्ण निर्धारक माना है:-

1.मुखा अवस्था(Oral Stage):- यह है अवस्था जन्म से 1 वर्ष की उम्र तक चलती है जिसमें बालक मुख की क्रियाओं द्वारा लैंगिक सुख(Saxual satisfaction) प्राप्त करता है। स्तनपान करना ,अंगूठा चूसना तथा अन्य चीजों को मुख में डालना आदि।

2.गुदावस्था(Anal Stage):- यह अवस्था 3 वर्ष की आयु तक चलती है। इस अवस्था में बच्चा मल मूत्र को त्यागने तथा कभी-कभी रोकने में लैंगिक सुख की प्राप्ति करता है। मल त्याग करते समय वे काफी देर तक बैठे रहते हैं।

3.लिंग-स्पर्शी अवस्था(Phallic Stage):- यह अवस्था 3 वर्ष से 5 वर्ष की आयु तक रहती है इस अवस्था में बच्चे अपने हाथों से जनन इंद्रियों  को स्पर्श करके लैंगिक सुख की प्राप्ति करते हैं।

4.अव्यक्त अवस्था(Latency Stage):- यह अवस्था 6 वर्ष से लेकर 12 वर्ष की आयु तक चलती है। इस अवस्था में बच्चे सामाजिक दबाव में आकर लैंगिक इच्छाओं को अनैतिक मानकर उनका दमन करते हैं।

5.जनेन्द्रिय अवस्था(Gential Stag:- यह अवस्था 13 वर्ष की आयु से प्रारंभ होती है इस अवस्था में किशोर पहले  समलिंगियों तथा बाद में  विषमलिंगी के साथ यौन संबंध बनाने में आनंद की अनुभूति प्राप्त करता है।

Thursday, February 24, 2022

Rorschach Ink Blot Test(रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण)

 

Rorschach Ink Blot Test / रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण

Rorschach Ink Blot Test / रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण 

निर्माण - Harman Rorschach

उद्देश्य - व्यक्तित्व संरचना की पहचान करना । 

परीक्षार्थी / व्यक्ति  की उम्र सीमा - निर्धारित नही । 


A Sample card of Ink Blot Test 

परीक्षण सामग्री ( Test Material )- 
  • कुल कार्ड संख्या = 10

काले व सफ़ेद कार्ड = 05  (कार्ड न. 1,4,5,6,7)

काले सफ़ेद व लाल कार्ड = 02 ( कार्ड न. 2,3 )

बहुरंगी या रंगीन कार्ड = 03 ( कार्ड न. 8,9,10 )


परीक्षण प्रक्रिया (Test Process) -

  • व्यक्ति / परीक्षार्थी के सामने एक एक करके कार्ड प्रस्तुत किया जाता है। 
  •  व्यक्ति / परीक्षार्थी से पूछा जाता है की उसे कार्ड की आकृति में क्या दिखाई दे रहा है । 
  • व्यक्ति  /परीक्षार्थी द्वारा दिये  गए उत्तरों के आधार पर व्यक्तित्व का विश्लेषण किया जाता है । 
  • परीक्षार्थी / व्यक्ति के व्यवहार का लेखन किया जाता है । 
  • परीक्षण की समय सीमा निर्धारित नहीं । 
  • व्यक्ति / परीक्षार्थी द्वारा कार्डों  पर  देने वाली प्रतिक्रियाओं की  संख्या निर्धारित नही। 
सोपान ( steps )

1 - प्रतिक्रिया (Responses )

2- प्रतिक्रिया की जाँच (Inquiry of Responses )

3- संसोधित प्रतिक्रिया देना (Improved Responses )

4- परीक्षक द्वारा प्रश्न पूछना( Questioning )

प्रतिक्रियाओं का अंकन - (Feeding of Responses)

  • स्थिति ( Location )- व्यक्ति द्वारा धब्बे के किस भाग पर प्रतिक्रिया दी गयी 
  • निर्धारक ( Determinants ) - धब्बे की वो विशेषताएँ जिनकी वजह से प्रतिक्रिया दी जा रही है 
  • विषय वस्तु ( Content ) - व्यक्ति द्वारा दी गयी प्रतिक्रियाओं को विषय वस्तु के आधार पर बाँटना 
  • मौलिक प्रतिक्रियाएँ  ( Natural Responses) - अधिक संख्या में दी गयी प्रतिक्रियाएं 
इस परीक्षण का प्रयोग करने के लिए एक अनुभवी ,प्रशिक्षित प्रशासक आवश्यक होता है 


Wednesday, February 23, 2022

Methods of Personality Measurement( व्यक्तित्व मापन की विधियाँ)

 

METHODS OF PERSONALITY MEASUREMENT ( व्यक्तित्व मापन की विधियाँ )

 METHODS OF PERSONALITY MEASUREMENT 

( व्यक्तित्व मापन की विधियाँ )

व्यक्तित्व मापन की मुख्यतः तीन विधियाँ इस प्रकार हैं -

1 आत्मनिष्ठ विधियाँ / व्यक्तिनिष्ठ विधियाँ (Subjective Methods ) 

2 वस्तुनिष्ठ विधियाँ  ( Objective Methods )

3 प्रक्षेपीय विधियाँ ( Projective Methods)

1 आत्मनिष्ठ विधियाँ / व्यक्तिनिष्ठ विधियाँ (Subjective Methods ) - 

इन विधियों में समय , व्यक्ति , स्थान  एवं निर्णायकों के व्यक्तिगत विचार , पसंद ,नापसंद , रुचियाँ या पूर्वधारणा आदि मापन के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं । 

आत्मनिष्ठ विधियों के प्रकार (Types of Subjective Methods )-

A - अवलोकन विधि ( observation Method)

B - साक्षात्कार विधि ( Interview Method)

C - जीवन इतिहास विधि (Case Study Method)

2-  वस्तुनिष्ठ विधियाँ  ( Objective Methods )-

जिन मापन विधियों के परिणाम समय , व्यक्ति , स्थान तथा निर्णायकों के द्वारा प्रभावित नही किए जा सकते उन्हे वस्तुनिष्ठ विधि कहते हैं ।

वस्तुनिष्ठ विधियों के प्रकार -

A -निर्धारण मापनी ( Rating Scale )- ये 6 प्रकार की होती हैं -

  • Trait Check List 
  • Numerical Rating Scale 
  • Graphic Rating Scale 
  • Ranking Rating Scale 
  • Positional Rating Scale 
  • Forced Choice Rating Scale 
B- परिसूची या प्रश्नावली ( Inventory Or Questionnaire)-

C - परिस्थिति परीक्षण ( Situation Test )

D - समाजमिति विधि ( Sociometric Method )

E - मनोनाटक ( Psycho Drama Method )

3- प्रक्षेपीय विधियाँ ( Projective Methods )-

जब व्यक्ति द्वारा किसी वस्तु , चित्र ,आकृति , वाक्य या कहानी का अर्थ पता लगाना या पूरा करना या अपने विचार व्यक्त करने के दौरान अनजाने ढंग से व्यक्तित्व का मापन किया जाता है तो इसे प्रक्षेपीय विधि कहते हैं । 

प्रक्षेपीय विधियों के प्रकार (Types Of Projective Methods ) -

  • साहचर्य तकनीकी (Association Technique)-  इसमें शब्दों , चित्रों , या वाक्यों पर प्रतिक्रिया देनी होती है । 
  • रचना तकनीकी ( Construction Technique )- इसमें कोई नवीन कहानी , या चित्र बनाने को कहा जाता है । 
  • पूर्ति तकनीकी ( Completion Technique ) - इसमें किसी अधूरे चित्र , वाक्य या कहानी को पूरा करने को कहा जाता है । 
  • क्रम तकनीकी ( Ordering Technique) - इसमें शब्द ,कथन , विचार, भाव ,चित्र ,वस्तुएं आदि को अपनी पसंद या नापसंद के अनुसार क्रम से लगाने को कहा जाता है । 
  • अभिव्यक्ति तकनीकी ( Expression Technique ) - इसमें प्रस्तुत किए गए शब्द ,कथन , विचार, कहानी , भाव ,चित्र ,वस्तुएं आदि पर अपनी प्रतिक्रियाएँ स्वतंत्र रूप  व मनचाहे ढंग से देनी होती हैं । 
प्रमुख व्यक्तिव परीक्षण  (Main Personality  Test )- 

रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण (Rorschach Ink Blot Test )- By Harman Rorschach  , No. of cards =10  for all

प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण ( Thematic Apperception Test ) /टीएटी/TAT- By Morgan and Murray , No . of cards = 31  (30 +1) ,  For Adults 

बालक अंतर्बोध परीक्षण ( Child Apperception Test )/ CAT - By Leopoled Bellack , No. of cards = 10 , for 3-10 year Child . 

वरिष्ठ अंतर्बोध परीक्षण ( Senior Apperception Test ) SAT - By Leopoled Bellack , No. of  cards = 16 , For 50 + years 


Tuesday, February 22, 2022

Cattell s 16 Persoality Factors / High School Personality Questionnaire ( कैटल के 16 व्यक्तित्व कारक )

Cattell s 16 Personality Factors ( कैटल के 16 व्यक्तित्व कारक )

कैटेल के द्वारा बनाए  गए प्रसिद्ध व्यक्तित्व मापन उपकरण 16 पी एफ  प्रश्नावली ( 16 P F Questionnaire ) में व्यक्तित्व के 16 द्विध्रुवीय कारकों को सम्मलित किया है जो इस प्रकार हैं -

क्रम सं - कारक    -        कारकों के दो विपरीत ध्रुव 
  S. N  Factors            Two Extreme Poles of Factors 
  1.   A   - उत्साही (out going )  एकांकी Reserved 
  2.   B   अधिक बुद्धिमान More Intelligent  - कम बुद्धिमान Less Intelligent 
  3.   C  स्थिर Stable            संवेगात्मक Emotional 
  4.   E   दृढ़ Assertive              नम्र Humble 
  5.   F  हंसमुख Happy GO Lucky-  सौम्य Sober 
  6.   G आध्यात्मिक Conscientious सांसरिक Expedient 
  7.   H सामाजिक Venturesome   संकोची Shy 
  8.   I संवेदनशील Tender-minded -  निष्ठुर Tough Minded 
  9.   L शंकालु  Suspicious    विश्वस्त Trusting
  10.   M कल्पनावादी Imaginative यथार्थवादी practical 
  11.   N व्यवहार कुशल  Shrewd -सामान्य Forthright 
  12.  O चिंतित Apprehensive - आत्मविश्वासी Placid 
  13.  Q1आधुनिक Experimenting रूढ़िवादी  Conservative 
  14.  Q2 स्व -आधारित Self-sufficient   - समूह-नियंत्रित Group tied
  15.  Q 3 नियंत्रित Controlled -अंतर द्वंदी  Causal 
  16.  Q 4 तनावयुक्त Tense      तनाव मुक्त Relaxed

Monday, February 21, 2022

R B CATTEL S TRAIT THEORY / कैटेल का शील गुण सिद्धान्त

 

R B CATTEL S TRAIT THEORY / कैटेल का शील गुण सिद्धान्त

R B CATTEL S TRAIT THEORY / कैटेल का शील गुण सिद्धान्त 

प्रतिपादक - आर बी कैटेल 
  • कैटल  ने सर्वप्रथम 4000 शील गुण शब्दों की सूची से 171 वर्णनात्मक पदों का चयन किया । 
  • फिर 171 पदों  से 35 वर्गों का निर्माण किया । 
  • इसके बाद कारक विश्लेषण ( Factor Analysis) नाम की संख्यकीय प्रविधि का प्रयोग करके व्यक्तित्व के 12 मूलभूत कारकों को ज्ञात किया । 
  • इन 12 मूलभूत कारकों को कैटेल ने व्यक्तित्व शील गुण  नाम दिया  जो  इस प्रकार हैं -
  1. CYCLOTHYMIA
  2. INTELLIGENCE 
  3. EMOTIONALLY MATURE 
  4. DOMINANCE 
  5. SURGENCY 
  6. SENSITIVE , IMAGINATIVE 
  7. TRAINED , SOCIALISED 
  8. POSITIVE INTEGRATION 
  9. CHARITABLE , ADVENTUROUS 
  10. NEURASTHEIA 
  11. HYPER SENSITIVE , INFATILE 
  12. SURGENT CYCLOTHYMIA 
  • कैटेल के अनुसार शील गुण  निम्न प्रकार के होते हैं - 
  1.  सामान्य शील गुण - जो सभी व्यक्तियों में पाये जाते हैं 
  2. विशिष्ट शील गुण - जो कुछ विशेष व्यक्तियों में पाये जाते हैं 
  3. सतही शील गुण - व्यक्ति के व्यवहार से जल्दी दिख जाते हैं - प्रसन्नता , उदासी , परोपकारिता ,विनम्रता आदि 
  4. स्रोत शील गुण - व्यक्ति के व्यवहार के पीछे छिपे होते हैं तथा अप्रत्यक्ष रूप से व्यवहार को नियंत्रित करते हैं । जैसे - मित्रता का गुण , एकाकीपन आदि। 
  • कैटेल के अनुसार व्यक्तित्व शील गुणों का विकास सामाजिक एवं पर्यावरणीय प्रभावों के फलस्वरूप होता है । 
  • Empirical Data तथा सांख्यिकीय प्रविधियों के प्रयोग ने कैटेल के सिद्धान्त को वस्तुनिष्ठिता प्रदान की है । 

TRAIT THEORY OF PERSONALITY / व्यक्तित्व का शील गुण सिद्धान्त

TRAIT THEORY OF  PERSONALITY / व्यक्तित्व का शील गुण सिद्धान्त 

व्यक्तित्व के शील गुणों के आधार पर  दो प्रमुख सिद्धान्त इस प्रकार हैं - 

1 - G . W Allport  का शील गुण सिद्धान्त 

2- R.B Cattell का शील गुण सिद्धान्त 

1- G W Allport का शील गुण सिद्धान्त -

आलपोर्ट ने शील गुणों को दो भागों में बांटा है -

A - सामान्य शील गुण ( Common Traits) - 

  • ऐसे शील गुण जो किसी समाज / संस्कृति के अधिकांश व्यक्तियों में पाये जाते हैं ।
  • इन्हे सरलता से ज्ञात किया जा सकता है ।

B - व्यक्तिगत शील गुण ( Personal Traits)- 

  • ये शील गुण जो बहुत कम व्यक्तियों में पाये जाते हैं ।
  • इनका अध्ययन बहुत कठिन होता है ।
आलपोर्ट ने व्यक्तिगत शील गुणों की तीन प्रवृत्तियाँ बताई हैं -

1- प्रमुख प्रवृत्ति ( Cardinal Disposition )-  

  • वे प्रमुख व प्रबल शील गुण जो छिपाए नही जा सकते एवं व्यक्ति के व्यवहार से परिलक्षित हो जाते हैं । 
  • जैसे - सत्य ,अहिंसा  में प्रबल विश्वास होना । 

2- केन्द्रीय प्रवृत्ति ( Central Disposition) - 

  • वे शील गुण जो व्यक्ति में अधिक सक्रिय रहते हैं एवं अधिकांश व्यवहारों मे दिखाई देते हैं । 
  • प्रत्येक व्यक्ति मे 5-10 ऐसे शील गुण होते हैं 
  • केंद्रीय प्रवृत्ति के शील गुण ही व्यक्तित्व की रचना करते हैं । 
  • जैसे - आत्मविश्वास ,समाजिकता , उत्साह ,व्यवहार कुशलता आदि । 

3- गौण प्रवृत्ति ( Secondary Disposition ) - 

  • ये शील गुण कम महत्वपूर्ण व कम संगत होते हैं तथा व्यवहार में कभी - कभी परिलक्षित होते हैं ।  
  • इनकी सहायता से व्यक्तित्व की ब्याख्या संभव नही होती है । 

स्मरणीय बिन्दु -  एक शील गुण जो एक व्यक्ति के लिए केंद्रीय प्रवृत्ति का है वही शील गुण दूसरे व्यक्ति के लिए गौण प्रवृत्ति या प्रमुख प्रवृत्ति का हो सकता है । 

अपनापन (PROPRIUM) - उत्पत्ति =लैटिन शब्द Proprius  = अपना / Own 

आलपोर्ट के अनुसार व्यक्तित्व में शील गुणों के समन्वय ( Integration ) व संगतता ( Consistency ) का भाव  समाहित होता है जिसे अपनापन ( Proprium) कहा जाता है । 

अपनेपन (Proprium ) की अवस्थाएँ - ( शैशववस्था से किशोरावस्था तक )

  • 1-3 वर्ष - शारीरिक स्व ,स्व पहचान ,स्व मान 
  • 4-6 वर्ष - स्व विस्तार , स्व प्रतिमा 
  • 6-12 वर्ष - तार्किक अनुकूलन 
  • 12-18 वर्ष - उपयुक्त प्रयास 
  • किशोरावस्था में Proprium का पूर्ण विकास हो जाता है । 

  • व्यक्तित्व जन्मजात न होकर परिस्थितियों से प्रभावित होकर विकसित होता है । 

Supreme Court of India

1.भारत का संघीय न्यायालय की स्थापना 1अक्टूबर,1937 को भारत सरकार अधिनियम,1935 के तहत की गयी थी।इसके प्रथम मुख्य न्यायाधीश सर मौरिस ग्वेयर थे।...