-प्रतिपादन-1912(Gestalt Psychologist)वर्दीमर, कोहलर और कोफ़्का हैं।
-गेस्टाल्ट जर्मन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है आकर(Form),संरचना(Configuration)अथवा प्रतिरूप(Pattern)-पूर्णाकारवाद (सम्पूर्ण से अंश की ओर)
-उपनाम:-गेस्टाल्ट सिद्धान्त,पूर्णाकार सिद्धान्त,समग्र सिद्धान्त,पूर्णाक्रति सिद्धान्त आदि
-सूझ=अनुभव+अभ्यास
-प्रकृति:-संज्ञानात्मक
-इस सिद्धांत का प्रयोग सर्वप्रथम प्रत्यक्षीकरण में किया गया था
-प्रयोगकर्ता:-कोहलर(कोफ़्का ने सहयोग किया)
-प्रयोग किया:-चिंपैंजी/वनमानुष(सुल्तान)
-गेस्टाल्टवादियों के अनुसार सीखना प्रयास व त्रुटि के द्वारा न होकर सूझ के द्वारा होता है।
-सूझ का अभिप्राय अचानक उत्पन्न होने वाले एक ऐसे विचार से है जो किसी समस्या का समाधान कर दे।
-सूझ द्वारा सीखने के लिए बुद्धि की आवश्यकता बुद्धि की आवश्यकता होती है और इस प्रकार के अधिगम में मस्तिष्क का सर्वाधिक प्रयोग होता है।
-सूझ द्वारा सीखने के अंतर्गत प्राणी परस्थितियों का भलीभांति अवलोकन करता है उसके बाद अपनी प्रतिक्रिया देता है।
-शैक्षिक महत्व:-
1.समस्या का पूर्ण रूप से प्रस्तुतिकरण
2.तत्पर होना।
3.विषयवस्तु का उचित संगठन व क्षमता के अनुसार विषयवस्तु।
4.रचनात्मक कार्यों के लिए उपयोगी।
5-कला संगीत साहित्य के लिये उपयोगी-क्रो एंड क्रो
6.लक्ष्य प्राप्ति में सहायक-ड्रेवर
7-कठिन विषय के लिए उपयोगी
8.समस्या-समाधान आधारित शिक्षा
9-स्वयं खोज कर सीखना
-अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक:-
1.बुद्धि(Intelligence)-बुद्धिमान बालक विषय सामग्री को जल्दी सीखता है।
2.प्रत्यक्षीकरण(Perception)- किसी भी समस्या के समाधान से पूर्व उसको पूरी तरह से जानना आवश्यक है।
3.अनुभव(Experience)-अनुभवी व्यक्ति समस्या का समाधान आसानी से निकाल लेते है।
4.समस्या की संरचना(Structure of Problem)-सरल समस्या का प्रत्यक्षीकरण आसानी से हो जाता है जिससे उसका आसानी से समाधान निकल आता है।
5.प्रयास एवं भूल(Trial and error)-सूझ की स्थापना होने पर व्यक्ति को समस्त परिस्थिति का ज्ञान हो जाता है।