-गुथरी तथा हॉर्टन ने अपने प्रयोगों में एक ऐसे पहेली बक्से(Puggle Box)का उपयोग किया जिसके बीच में एक लिवरनुमा छड़ी या pole लगा था।
-इस पोल पर बिल्ली के किसी भी अंग का स्पर्श होने पर बक्से के दरवाजा स्वतः खुल जाता हैं और बिल्ली बाहर आकर अपना भोजन कर लेती है।
-इस प्रयोग में लगभग 800 फ़ोटो लिए और पाया कि हर बार बिल्ली ने अपनी गलती को सुधारा और अंत मे बिना किसी गलती के दरवाजा खोलकर बाहर आयी और भोजन प्राप्त किया ।
-बिल्लियों के रूढ़िबद्ध व्यवहार के अवलोकन के परिणामस्वरूप गुथरी ने सीखने की प्रक्रिया के सामान्य सिद्धान्त प्रतिपादित किये-
1.समीपता का नियम(Law of Continuity)-गुथरी के अनुसार उद्दीपक तथा अनुक्रिया के पास-पास होने के कारण प्राणी जल्दी सीखता है।
2.एकल प्रयास अधिगम का नियम(Law of Single Trail Learning)-उद्दीपक तथा अनुक्रिया के बीच सम्बन्ध प्रथम प्रयास में अधिकतम में अधिकतम शक्ति प्राप्त कर लेता है।
3-नवीनता का नियम(Law of Recency)-पूर्व परिस्थिति के पुनः आने पर अंतिम अनुक्रिया(Last Response)को दोहराता है।
4-कार्यों का अधिगम(Learning of Acts)-किसी कौशल में निपुणता अर्जित करने के लिए अभ्यास की आवश्यकता इसलिए होती है जिससे प्राणी क्रमबद्ध ढंग से सभी बंधनों को सीख सकें।
5-गति उत्पन्न उद्दीपक क्रिया(Movement Produced Stimuli Function)-जब किसी बाह्य उद्दीपक से अनुक्रिया प्रारम्भ होती है तो शरीर अगली अनुक्रिया के लिए उद्दीपक को प्रस्तुत करने का उत्तरदायित्व ले लेता है।
6-पुनर्बलन की भूमिका(Role of Reinforcement)-पुनर्बलन देने से उत्तेजन अवस्था(Stimulating Condition) में यांत्रिक परिवर्तन आ जाता है एवं प्राणी पुनर्बलन की उपस्थिति से उद्दीपक व अनुक्रिया के बीच अनुबंधन शीघ्रता से बनाता है।
7-दण्ड की भूमिका(Role of Punishment)-दण्ड इस प्रकार से दिया जाना चाहिये कि प्राणी अपने व्यहवार को बदलने की सोचे।
8-विस्मरण तथा विलोपन(Forgetting and Extinction)-किसी गलत व्यवहार का विस्मरण होने या विलोपन के लिए नई बात का सीखना आवश्यक है।
9-अभिप्रेरक तथा प्रणोद(Motives and Drives)-अभिप्रेरक तथा प्रणोद प्राणी को लक्ष्य प्राप्ति तक क्रियाशील रखते है।
10-अधिगम अंतरण(Transfer of Learning)- दो परिस्थितियों में समानता होने पर एक परिस्थिति में सीखा ज्ञान दूसरी परिस्थिति में प्रयोग में आ जाता है।
11-गलत आदत परिष्कार(Bad Habit Breaking)-असंगत उद्दीपक विधि में अवांछित अनुक्रिया उतपन्न करने वाले उद्दीपक के साथ अन्य ऐसे उद्दीपकों को प्रस्तुत किया जाता है जो वांछित अनुक्रिया देते है।
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